भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestlers Federation Of India) ने एशियन ओलंपिक क्वालीफायर (Asian Olympic Qualifier) और विश्व ओलंपिक क्वालिफायर (World Olympic Qualifier) के लिए सेलेक्शन ट्रायल का आयोजन किया है. इन आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करनेवाले खिलाड़ियों के चयन के लिए 10 और 11 मार्च 2024 का दिन तय किया गया है. इस ट्रायल पर रोक (Stay On Trial) लगाने को लेकर बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. कयास लगाए जा रहे है कि दिल्ली हाईकोर्ट अगले सप्ताह में इस याचिका पर सुनवाई करेगी.
विशेष रूप से, ये पहलवान डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरोध में सबसे आगे थे. बृज भूषण सिंह को हटाया गया है. सिंह के कार्यकाल के बाद, संजय सिंह कुश्ती संघ के प्रमुख बने. अब पुनिया और अन्य पहलवानों ने कहा है कि डब्ल्यूएफआई को खेल मंत्रालय ने निलंबित कर दिया है इसलिए WFI के पास पहलवानों को ट्रायल के लिए आमंत्रित करने की कोई शक्ति नहीं है.
याचिका में तर्क दिया गया है कि डब्ल्यूएफआई के मामलों के प्रबंधन के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) द्वारा एक समिति का गठन किया गया था और भले ही डब्ल्यूएफआई को इसकी अवैध स्थिति के बारे में पता था, फिर भी उसने चयन परीक्षणों के लिए नोटिस जारी किया।
याचिका में कहा,
" जब तक प्रतिवादी (WFI) के आयोजनों का तब तक असमति जारी रहेगी, जब तक वह कुश्ती खिलाड़ियों को गुमराह करना, हेरफेर करना, प्रभावित करना, धमकाना और अनुचित और अनावश्यक प्रतिकूलताएं पैदा करने के रवैये में बदलाव नहीं लाएगा."
बजरंग पूनिया ने इस विषय पर पीटीआई से बात की है. पीटीआई से बात करने के दौरान पूनिया ने WFI के ट्रायल के फैसले पर सवाल उठाया है.
पूनिया ने कहा,
‘‘अगर मुझे ट्रायल में शामिल नहीं होना चाहता तो मैं अपनी तैयारी पर 30 लाख रूपये खर्च नहीं करता. लेकिन निलंबित डब्ल्यूएफआई ट्रायल कैसे करा रहा है. भारत सरकार इसकी मंजूरी कैसे दे सकती है.’’
पूनिया ने आगे कहा,
‘‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि भारत सरकार द्वारा निलंबित खेल ईकाई ट्रायल का ऐलान कैसे कर सकती है.” सरकार क्यों चुप है. अगर सरकार ट्रायल करायेगी तो ही हम इसमें भाग लेंगे.’’
दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई करेगी.