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PFI सदस्यों की जमानत याचिका Kerala HC ने की खारिज, RSS कार्यकर्ता की हत्या से जुड़ा है मामला

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा है कि सातों आरोपियों के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं.

केरल हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : November 30, 2024 10:22 AM IST

केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने पलक्कड़ में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की 2022 में हुई हत्या के मामले में आरोपी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सात सदस्यों की जमानत याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा है कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा कि सातों आरोपियों के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं. इन आरोपियों पर देश में विभिन्न भागों में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का मामला चल रहा है.

आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्तया आरोप साबित

जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस केवी जयकुमार की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद उनका मानना ​​है कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा है कि सातों आरोपियों के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार सात आरोपियों में से एक ने हमलावरों द्वारा प्रयुक्त मोटरसाइकिल की व्यवस्था की थी, जिसका इस्तेमाल श्रीनिवासन का पता लगाने तथा आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने के लिए रेकी करने के लिए किया गया था. अदालत ने यह भी कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि सात आरोपियों में से दो ने 15 अप्रैल, 2022 को श्रीनिवासन की रेकी की थी.

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हाथ काटने का विवाद

इसके अतिरिक्त, एक अन्य आरोपी के घर से कई दस्तावेज, नोटिस, पत्रिकाएं और अन्य सामान जब्त किए गए, जिनमें हाथ काटने के मामले से जुड़ा विवादास्पद प्रश्नपत्र भी शामिल था. हाथ काटने का मामला इडुक्की जिले में 2010 की घटना से जुड़ा है, जहां प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काट दिया गया था, क्योंकि उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने एक आंतरिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में पैगंबर मुहम्मद का अपमान किया था.

क्या है मामला?

साल 2022 में आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवान की अज्ञात लोगों ने हत्या की. यह हत्या बगल के गांव में एक PFI मेंबर की हत्या के बदले के रूप में की गई थी. पुलिस ने 16 अप्रैल, 2022 को श्रीनिवासन की हत्या में 51 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें एक संदिग्ध की मौत हो चुकी है और सात अभी भी फरार हैं. मामले में अब तक दो बार चार्जशीट जुलाई और दिसंबर 2022 में दायर की जा चुकी है. इस घटना की जांच के दौरान इन आरोपियों के खिलाफ यह जानकारी सामने आई कि इन लोगों ने केरल में आतंकवादी हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने की साजिश रची थी. सितंबर 2022 में केंद्र ने एनआईए को आरोपियों के खिलाफ जांच का निर्देश दिया. इसी महीने 28 सितंबर, 2022 के दिन केंद्र ने पीएफआई को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. इस मामले में एनआईए ने 2023 में अपनी चार्जशीट दायर की, जिसके बाद आरोपियों ने जमानत की मांग की. कोर्ट ने 17 आरोपियों को जमानत दी, लेकिन नौ को राहत नहीं मिली.