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Right to Education: Gauhati High Court ने असम सरकार से पूछा पहले से ही वंचित गरीब कैसे ऑनलाइन आवेदन करेंगे

WE FOR GUWAHATI FOUNDATION और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस मिताली ठाकुरिया ने असम के शिक्षा विभाग को फटकार लगाते हुए पूछा कि पहले से ही वंचित लोग आनलाईन आवेदन कैसे कर पायेंगे.

Written by Nizam Kantaliya |Published : May 19, 2023 12:35 PM IST

नई दिल्ली: Right to Education के तहत निजी स्कूलोंं में गरीब छात्रों को प्रवेश के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को लेकर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार को फटकार लगाई है.

WE FOR GUWAHATI FOUNDATION और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस मिताली ठाकुरिया ने असम के शिक्षा विभाग को फटकार लगाते हुए पूछा कि पहले से ही वंचित लोग आनलाईन आवेदन कैसे कर पायेंगे.

जनहित याचिका में आरटीई अधिनियम के राज्य में कार्यान्वयन उचित तरीके से नही होने के चलते दायर की गयी थी.

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता में शामिल ANITA VERMA ने अदालत को बताया कि अब तक 49 बच्चों में से, जिनके नाम चयन सूची में निर्धारित किए गए हैं, केवल 15 बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रवेश प्रदान किया गया है.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कई स्कूल बच्चों के दाखिले के लिए पैसे की मांग कर रहे हैं. याचिकाकर्ता द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि बच्चों के माता-पिता पर खाली वचनपत्रों पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाल गया है.

याचिकाकर्ता के आरोप पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर पहले से ही गरीब और वंचित लोग किस तरह से Online आवेदन कर पायेंगे.

पीठ द्वारा सरकारी पक्ष से जवाब मांगे जाने पर कहा गया कि बच्चो के प्रवेश के लिए एक समर्पित पोर्टल अभी विकसित किया जा रहा है. तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है, और अगर लाभ से इनकार किया जा रहा है तो बच्चों को तदनुसार आवेदन करने की आवश्यकता है.

सरकार के जवाब पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता ने अधिकारियो को फटकार लगाते हुए कहा कि "आरटीई अधिनियम कब लागू हुआ? कदम उठाएं, या सचिव को यहां परेड किया जाएगा."

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप तौर-तरीकों पर काम करते हैं। आप कसौटी पर काम करते हैं, तर्कसंगत कसौटी होनी चाहिए ... हम इसे दिन-प्रतिदिन सुनवाई करेंगे.

खंडपीठ ने कहा कि वह प्रवेश देने से इनकार करने वाले सबूत उपलब्ध कराए जाने पर ऐसे स्कूलों की मान्यता समाप्त करने का अधिकारियों को निर्देश देने पर विचार करेगी.

खंडपीठ ने लंबित दाखिले व औपचारिकताएं पूरी नहीं होने पर स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को सुनवाई की अगली तिथि पर अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी.