दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल (Delhi Medical Council) के फैसले को जारी रखा है.डीएमसी (DMC) ने सूचना जारी कर राजधानी दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे अन्य जगहों पर रजिस्टर्ड एलोपैथी डॉक्टरों (Allopathy Doctors) को निर्देश दिये हैं. नोटिस में ऐसे डॉक्टरों को डीएमसी में पंजीकृत (Registration) कराने के निर्देश दिए हैं. इस नोटिस को दिल्ली हाईकोर्ट में PIL के माध्यम से चुनौती दी गई थी, जिसे खारिज कर दी गई है.
राजधानी दिल्ली (Capital Delhi) में चिकित्सीय सेवा या क्लिनिक चला रहे अन्य जगहों के मेडिकल बोर्ड में रजिस्टर्ड सभी डॉक्टरों को डीएमसी में रजिस्ट्रेशन (Registration in DMC) करानी होगी. रजिस्ट्रेशन के बाद ही डॉक्टर अपनी सेवा दे पाएंगे. रजिस्ट्रेशन के माध्यम से ही डॉक्टरों की जिम्मेदारी व जबावदेही तय करने में बोर्ड को मदद मिलेगी. साथ ही डॉक्टरों को हर पांच साल में रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण (Renewal) कराना होगा.
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने इस पीआईएल (PIL) को सुना. कोर्ट ने नोटिस का उद्देश्य नागरिकों के हितों में पाया. मेडिकल काउंसिल बोर्ड का निर्देश उनके क्षेत्राधिकार में देखकर उनके फैसले को जारी रखा. वहीं, इस PIL याचिका को खारिज किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट में डीएमसी के आदेश को PIL के माध्यम से चुनौती दी गई. ये PIL डॉ नमित गुप्ता ने दायर की थी. गुप्ता ने मांग की. डीएमसी के इस आदेश के बाद जो डॉक्टर पहले से किसी अन्य राज्य के मेडिकल बोर्ड में रजिस्टर्ड है, उन्हें वहां अपना रजिस्ट्रेशन कैंसिल करना होगा, नहीं तो दोनों जगह की रजिस्ट्रेशन साथ रखनी होगी जिससे उनके पास कई राज्यों की मेडिकल रजिस्ट्रेशन होगी.
कोर्ट ने पाया कि इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 की धारा 15(2)(b) और 27 के अनुसार, एक डॉक्टर किसी एक जगह (इंडियन मेडिकल काउंसिल या किसा राज्य के बोर्ड में) रजिस्ट्रेशन कराने के बाद देश के किसी भी भाग में अपनी सेवा दे सकता हैं. नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट, 2019 (NMC Act, 2019) में इन प्रावधानों को हटा दिया गया है.
कोर्ट ने कहा,
“नए NMC एक्ट में इन नियमों को हटाया गया है ताकि डॉक्टर जिस भी राज्य में रजिस्ट्रेशन करवाएंगे, केवल वहीं अपनी सेवा दे पाएंगे.डॉक्टरर्स जिन भी राज्यों में अपनी सेवा देना चाहतें हैं, उस राज्य के मेडिकल बोर्ड में वे अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.”
उपरोक्त बातें कहकर दिल्ली हाईकोर्ट ने इस PIL याचिका को खारिज की.