नई दिल्ली: देश की न्यायपालिका में लगातार नए आयामों को बढावा दे रहे मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने National Court Management Systems Committee का पुर्नगठन कर दिया है.सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने इस कमेटी की जिम्मेदारी अब सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस दीपांकर दत्ता को सौपी है.
जस्टिस दीपांकर दत्ता को कमेटी का चैयरमेन बनाया गया है. पुर्नगठन के बाद इस National Court Management Systems Committee में जस्टिस दत्ता के साथ 4 हाईकोर्ट जज सहित कुल 16 सदस्य शामिल है.
9 फरवरी 1965 को जन्मे जस्टिस दत्ता ने 12 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ली थी, सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस दत्ता का कार्यकाल 9 वर्ष से अधिक है, वे 8 फरवरी 2030 को सेवनिवृत होंगे.
कमेटी के दूसरे सदस्यों में दिल्ली हाईकोर्ट के Justice Rajiv Shakdher, केरला हाईकोर्ट के जज Justice A. Muhamed Mustaque, कोलकोता हाईकोर्ट की Justice Joymalya Bagchi, राजस्थान हाईकोर्ट के oसुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल, गुजरात, उड़ीसा और कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल शामिल है.
वेलिंगकर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के निदेशक उदय सालुंखे और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के उप महानिदेशक आरएस मणि को समिति में विशेषज्ञ सदस्य के रूप में जगह दी गई है.
समिति में सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार विवेक सक्सेना को सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है, समिति में कानून मंत्रालय के प्रतिनिधी के रूप में एक संयुक्त सचिव पदेन सचिव के रूप में रहेंगे. वही सुप्रीम कोर्ट के वकील के परमेश्वर भारत मुख्य न्यायाधीश के नॉमिनी हैं.
जस्टिस दीपांकर दत्ता अप्रैल 2020 की गर्मियों में उस वक्त देशभर में चर्चा में आए, जब कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालने के लिए कलकत्ता से बॉम्बे तक लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय की थी
फरवरी 1965 में जन्मे जस्टिस दत्ता कलकत्ता हाईकोर्ट के दिवंगत पूर्व जज सलिल कुमार दत्ता के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अमिताव रॉय के बहनोई हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान जस्टिस दत्ता ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लेकर कई अहम निर्णय लिए.उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 30 एकड़ के भूखंड पर एक नए हाईकोर्ट भवन के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास हैं.
कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद 16 नवंबर 1989 में वे एक वकील के रूप में रजिस्टर्ड हुए. 16 मई 2002 से लेकर 16 जनवरी, 2004 तक वह वह बंगाल सरकार के जूनियर स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे.इसके बाद 1998 से केंद्र सरकार के काउंसिल के रूप में कार्य करना शुरू किया.
22,जून 2006 को उन्हे कलकत्ता हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति दी गयी. हाईकोर्ट जज के रूप में करीब 14 साल तक सेवाएं देने के बाद 28 अप्रैल, 2020 को उन्हे बॉम्बे हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.