हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में बहाली प्रक्रिया से जुड़े मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है. अदालत ने कहा कि सरकारी पदों के लिए बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन न करना संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत ने कहा कि चयन की निष्पक्ष प्रक्रिया का अधिकार मौलिक है और यह किसी व्यक्ति के स्कोर से परे है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने परीक्षार्थियों की याचिका स्वीकार करते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को दोबारा से नियमानुसार व पारदर्शिता दिखाते हुए बहाली करने के निर्देश दिए हैं. याचिकाकर्ता ने दावा किया जूनियर वैज्ञानिक अधिकारी सहित सरकारी बहाली प्रक्रिया में परीक्षा का मॉडल आंसर पत्र नहीं जारी किया गया.
जस्टिस समीर जैन की पीठ ने निर्देश दिया है कि वे हरकीरत सिंह घुमन बनाम पंजाब एंड हरियाणा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करें और उसके दो महीने के भीतर एक नई मेरिट सूची तैयार करें.
हरकीरत सिंह घुमन बनाम पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है. विशेष रूप से बहुविकल्पीय प्रश्न पत्रों के लिए, उम्मीदवारों को OMR शीट प्रदान की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कि चयन प्रक्रिया में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले, अनंतिम उत्तर कुंजी (Tentative Answer Key) को अपलोड किया जाना चाहिए और उस पर छात्रों के आपत्तियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए, साथ ही उन आपत्तियों का जवाब देने के बाद ही अंतिम आंसर जारी किया जाना चाहिए.
यह मामला जूनियर वैज्ञानिक अधिकारी (JSO), जूनियर पर्यावरण इंजीनियर (JEE) और लॉ अधिकारी-II के पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है. इन परीक्षा के आवेदकों ने अदालत में दावा किया कि भर्ती प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण, अनुचित और गैर-पारदर्शी थी. याचिकाकर्ताओं ने यह मांग किया कि सार्वजनिक वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, उम्मीदवार को प्रश्न पुस्तिका के साथ OMR की एक प्रति प्रदान की जानी चाहिए. इसके बाद, एक मॉडल उत्तर कुंजी प्रकाशित की जानी चाहिए, जिस पर छात्रों की आपत्तियां आमंत्रित की जानी चाहिए. यह प्रक्रिया न केवल उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि भर्ती प्रक्रिया को भी निष्पक्ष बनाती है.
हालांकि, हाईकोर्ट ने पाया कि परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की गई, लेकिन आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. अदालत ने माना कि प्रतिवादियों ने चयन प्रक्रिया को समाप्त करने में जल्दबाजी की और बहाली प्रक्रिया के नियमों का पालन नहीं करके कानून का उल्लंघन किया है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस विवाद को सुनने के बाद यह माना कि राजस्थान राज्य नियंत्रण बोर्ड कर्मचारी सेवा नियम और विनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार RPSCB को अपनी शक्तियों को प्रत्यायोजित करने का अधिकार है. साथ ही उन्हें बहाली के लिए प्रकाशित नोटिफिकेशन के अनुसार पदों पर आवेदन आमंत्रित करने व बहाली करने की अधिकार है.