दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दलाई लामा के खिलाफ पॉक्सो का मुकदमा चलाने को लेकर दायर जनहित याचिका (Public Interest Litigation) को खारिज कर दी. इस जनहित याचिका में तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के खिलाफ एक बच्चे को चूमने के मामले में पोक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत कार्रवाई की मांग की गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह घटना डेढ़ साल पहले हुई थी और यह पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से हुई थी. दलाई लामा ने इसके लिए माफी मांगी है.
अदालत ने कहा,
"हमने वीडियो देखी है जो भी घटित हुआ वह सार्वजनिक तौर पर लोगों के सामने हुआ. अगर बड़े नजरिए से देखे तो इस वीडियो में दलाई लामा बच्चे के साथ खेलने की और उसे हसाने की कोशिश कर रहे थे. इस तिब्बती कल्चर के तौर पर देखा जा सकता है."
अदालत ने PIL पर आगे सुनवाई से इंकार कर दिया है. याचिकाकर्ता के जिरह करने पर अदालत ने कहा कि मामला जनहित याचिका से जुड़ा नहीं है, अगर आपको आपत्ति है तो इसे लेकर सरकार से कार्रवाई करने की मांग करें.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अप्रैल 2023 में एक बच्चे की पहचान छिपाए बिना विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, मीडिया चैनलों पर एक वीडियो वायरल हुई. इस वीडियो को लेकर समाचार चैनलों द्वारा चर्चा और बहस आयोजित की गई, जिसका बच्चे पर गंभीर प्रभाव पड़ा.
याचिका में आगे कहा गया है कि इस घटना के सार्वजनिक होने के बाद, दुनिया भर में तिब्बती समुदाय के सदस्य आगे आए और विवाद को भटकाने के लिए एक कपटी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया कि प्राचीन तिब्बती संस्कृति में अभिवादन के रूप में, जीभ बाहर निकालने का, इस्तेमाल किया जाता है.
हालांकि, वीडियो पर लोगों की नकारात्मक प्रतिक्रिया आने के बाद दलाई लामा ने 10 अप्रैल 2024 को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी उपरोक्ट टिप्पणी के साथ इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.