नई दिल्ली: Bar Council of Delhi ने हाल ही में अपने अधीन लॉयर्स बॉडी में रजिस्टर्ड सभी अधिवक्ताओं को नया पहचान पत्र जारी करने का निर्णय लिया है.
बार काउंसिल ने दिल्ली के सभी अधिवक्ताओं को नए सिरे से पहचान पत्र जारी करने की सूचना जारी करते हुए अधिवक्तओं से आवेदन करने को कहा गया है.
Bar Council of Delhi ने नए सिरे से नामांकन के लिए अधिवक्ताओं से नामांकन के लिए दिल्ली-एनसीआर के पते वाले आधार और मतदाता पहचान पत्र को अनिवार्य बनाया गया है.
बिहार निवासी और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक अधिवक्ता रजनी कुमारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर इस फैसले को चुनौती दी है.
दायर याचिका में नामांकन के लिए आधार और मतदाता पहचान पत्र को अनिवार्य करने को बीसीडी का मनमाना और भेदभावपूर्ण फैसला बताते हुए चुनौती दी है.
याचिका में कहा गया है कि बीसीडी का फैसला देश के दूर-दराज से आने वाले कानून स्नातकों को बेहतर संभावनाओं की उम्मीद में दिल्ली में लॉ की प्रेक्टिस करने से रोकेगा.
याचिका में कहा गया कि दिल्ली या एनसीआर के पते के साथ आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की आवश्यकता उन कानून स्नातकों के साथ भेदभाव करती है जिनके पास दिल्ली या एनसीआर में कोई पता नहीं है.
याचिका में कहा गया कि यह नियम विधि स्नातकों के बीच उनके आवासीय पते के आधार पर एक मनमाना वर्गीकरण बनाता है, जो अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है.
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया पक्षकार बनाने के निर्देश देते हुए सुनवाई को 2 मई तक के लिए टाल दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई 2 मई, 2023 को होगी.
गौरतलब है कि बार काउंसिल दिल्ली ने 13 अप्रैल को एक नोटिस जारी करते हुए अधिवक्ताओं का नए सिरे से नामांकन कराने के लिए आवेदन मांगे है, जिसमें दिल्ली या एनसीआर को अपने निवास स्थान के रूप में दिखाते हुए अपना आधार और मतदाता पहचान पत्र अनिवार्य रूप से पेश करना होगा.
अनिवार्य दस्तावेज पेश नही करने की स्थिती में नामांकन करने से मना किया गया है.