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बच्चा पैदा करने में महिला की असमर्थता नहीं है 'नपुंसकता' और 'तलाक' का आधार: Patna HC

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस कुमार और जस्टिस बजनथरी की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत इन परिस्थितियों में तलाक नहीं लिया जा सकता है।

Woman's Inability to give birth no grounds of impotency and divorce says Patna HC

Written by Ananya Srivastava |Updated : July 28, 2023 3:35 PM IST

नई दिल्ली: एक मामले की सुनवाई के दौरान पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) का ऐसा मानना है कि एक शादी में यदि महिला बच्चा पैदा करने में असमर्थ है, तो यह तलाक का आधार या कारण नहीं हो सकता है; इसे नपुंसकता भी नहीं कहा जाएगा।

पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश जितेंद्र कुमार (Justice Jitendra Kumar) और न्यायाधीश पीबी बजनथरी (Justice PB Bajanthri) की पीठ ने यह बात हिन्दू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) के संदर्भ में कही है।

नपुंसकता और तलाक के आधार पर कोर्ट ने कही ये बात

पटना उच्च न्यायालय का यह कहना है कि बच्चा न पैदा कर पाना ही नपुंसकता मानी जाएगी और न ही इसे तलाक का आधार बनाया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा किसी की भी शादीशुदा ज़िंदगी में ऐसा हो सकता है और वो अपने परिवार में एक बच्चे को शामिल करने के लिए कई दूसरे विकल्पों का सहारा ले सकते हैं जैसे गोद लेना।

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पटना हाईकोर्ट के जस्टिस कुमार और जस्टिस बजनथरी की पीठ ने स्पष्ट किया कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत इन परिस्थितियों में तलाक नहीं लिया जा सकता है।

क्या था पूरा मामला

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उच्च न्यायालय ने यह बात याचिकाकर्ता की पुनरीक्षण याचिका (Revision Plea) को खारिज करते हुए कही। याचिकाकर्ता अपनी पत्नी से तलाक मांग रहा था और उसने पत्नी पर क्रूरता के आरोप लगाए थे। दरअसल पत्नी ने परिवार को बताया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है, जांच के बाद यह पता चला कि उनके गर्भाशय में एक 'सिस्ट' है जिसकी वजह से वो मां नहीं बन सकती हैं।

कोर्ट ने नोटिस किया कि याचिका शादी के दो साल बाद दायर की गई थी और पत्नी अपने पति के साथ महज दो महीने रही थी। पति यानी याचिकाकर्ता एक दूसरी महिला से शादी करना चाहते थे ताकि उनका अपना एक परिवार हो सके और वो अपनी पत्नी को तलाक देना चाहते थे क्योंकि वो बच्चा पैदा करने में असमर्थ है।

अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई मेरिट (merit) नहीं है; साथ ही, यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करके सही किया था।