Patanjali Misleading Ads: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. इस मामले की सुनवाई के दौरान कानून और चिकित्सा से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान दिया गया. बहस के दौरान पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव द्वारा माफी मांगना, दोबारा से विज्ञापन छपवाकर लोगों से बिना शर्त माफी मांगना, कानून की महत्ता को दर्शाती है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मॉडर्न मेडिसिन में मौजूद खामियों पर भी चिंता जाहिर की, IMA से कार्रवाई करने की मांग की. वहीं, केन्द्र और राज्य से इन विज्ञापनों पर रोक नहीं लेकर भी जवाब मांगा गया है. ये कहना गलत नहीं होगा, कि पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में कई जरूरी मुद्दों पर चर्चा हुए, उचित कदम उठाने के निर्देश दिए गए.
आज की सुनवाई में पतंजलि को संस्थापक की अदालत में उपस्थिति पर रोक लगाई है. पतंजलि भ्रामक विज्ञापन में अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच इस मामले को सुन रही हैं.बेंच ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की उपस्थिति पर रोक लगाई है. साथ ही पतंजलि भ्रामक विज्ञापनों को हटाने के लिए उठाए गए कदमों को हलफनामा के माध्यम से बताने के निर्देश दिए हैं.
बेंच ने कहा,
"हम उनकी उपस्थिति पर रोक लगाते हैं. आदेश को सुरक्षित रख रहे हैं. अपना हलफनामा दायर कीजिए."
बेंच ने आगे कहा,
"जनता जागरूक है, अगर उनके पास विकल्प हैं तो वे अच्छी तरह से सोच-समझकर चुनाव करेंगे...बाबा रामदेव का बहुत प्रभाव है, वे इसका सही तरीके से उपयोग करें."
बेंच ने बाबा रामदेव की सुप्रसिद्ध ख्याति की ओर ध्यान दिलाया. इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने योग के लिए बहुत काम किया है.
जस्टिस हिमा कोहली ने स्पष्ट किया,
"उन्होंने योग के लिए जो किया वह अच्छा है, लेकिन पतंजलि के प्रोडक्स एक अलग मामला है."
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा किए गए मानहानि के मुकदमे में अपना फैसला सुरक्षित रखा है.