कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति
(Parliamentary Standing Committee) की सिफारिशों को कानून मंत्रालय ने मंजूरी दी है. संसदीय समिति ने अपने 133वें रिपोर्ट में काननू संबंधी सहित 22 अन्य मुद्दों पर अपनी सिफारिश दिया. इनमें प्रमुख सिफारिश सुप्रीम कोर्ट की रीजनल बेंच की स्थापना (Supreme Court regional bench), हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट आयु बढ़ाने का है. ये रिपोर्ट 7 अगस्त, 2023 के दिन संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में लाया गया. कानून मंत्रालय (Union Law Ministry) ने अपनी 144वीं रिपोर्ट में इन सिफारिशों को मंजूरी दी. कानून मंत्रालय ने अपने एक्शन टेकन रिपोर्ट को चार अध्यायों में विभाजित किया है.
i) सुप्रीम कोर्ट की रीजनल बेंच
समिति ने देश भर में सुप्रीम कोर्ट की चार या पांच रीजनल बेंच खोलने की सिफारिश की. इन रिजनल बेंच खुलने से न्यायपालिका पर बढ़ते बोझ को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही दूर-दराज के क्षेत्र से आ रहे लोगों को राहत मिलेगी. इसे कानून मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया.
ii) न्यायालयों द्वारा साल भर की रिपोर्ट तैयार करना प्रकाशन करना
समिति ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा साल भर की रिपोर्ट तैयार कर उसका प्रकाशन करवाने की सिफारिश को मंजूरी मिल गई है. एक्शन टेकन रिपोर्ट के अनुसार, 19 जून, 2023 के दिन न्याय विभाग ने सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट को इस साल भर के ब्यौरे में एकरूपता लाने के लिए उड़ीसा हाईकोर्ट के तय रिपोर्टिंग मानक का पालन करने का आग्रह किया. वहीं सुप्रीम कोर्ट लगातार रिपोर्ट का प्रकाशन कर रही है. कुछ हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट के प्रकाशन में अनियमितताएं दिखाई है.
अध्याय 2: समिति द्वारा सिफारिशों पर अमल नहीं किया गया
समिति ने इस अध्याय में न्यायाधीशों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाने, न्यायाधीशों के प्रदर्शन मूल्य और न्यायालयों में रिक्तियां को भरने जैसी सिफारिशों को अभी अमल में नहीं लाया गया है.
एक्शन टेकन रिपोर्ट के अध्याय 3 में वो लिस्ट है, जिनमें सिफारिशों के लिए सरकार द्वारा दिए गए कारणों से समिति संतुष्ट नहीं है. ये सिफारिशें न्यायिक नियुक्तियों में समाजिक विविधता, रिटायरमेंट के बाद के कार्य और सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में छुट्टियों से जुड़ी हुई है. वहीं, अध्याय 4 में सरकारी जबाव के लंबित सिफारिशों की सूची है.