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कोविड के दौरान वसूली गई स्कूल फीस की 15 प्रतिशत राशि करनी होगी वापस-Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान सरकार के फैसले के अनुसार उत्तरप्रदेश में भी फीस निर्धारण का आदेश दिया है. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कोविड काल के लिए स्कूलों को निर्धारित फीस का 85 प्रतिशत राशि का हकदार माना था.

Written by Nizam Kantaliya |Updated : January 17, 2023 8:32 AM IST

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लाखो पैरेंट्स को एक बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सभी स्कूलों को आदेश दिए है कि COVID-19 महामारी के दौरान पेरेंट्स की ओर से भुगतान की गई फीस की 15% राशि वापस करें. कोर्ट ने कहा है कि सत्र 2020- 21 में ली गई पूरी फीस में से 15 प्रतिशत फीस वापस करनी होगी या इस राशि को अगले वर्ष की फीस में एडजस्ट करना होगा.

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनिर की पीठ ने इस साल स्कूल छोड़ चुके छात्रों की फीस को लेकर भी अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि जो छात्र पास आउट हो गए हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं, उनकी फीस की राशि की गणना करते हुए उन छात्रों को लौटाई जाए.

स्कूल बंद तो फीस क्यों..

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये आदेश छात्रों के अभिभावकों की ओर से दायर याचिका एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है. अभिभावकों की ओर से उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में फीस के नियमन की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी.

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याचिका में कहा गया कि चूंकि वर्ष 2020-21 में कोविड के चलते स्कूलें पूर्णतया बंद थी, सभी निजी स्कूलों द्वारा ऑनलाइन ट्यूशन के अलावा कोई सेवा प्रदान नहीं की गई थी, इसलिए ट्यूशन शुल्क के अलावा किसी भी प्रकार की फीस वसूल करना अनुचित है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की नजीर

अभिभावकों की ओर से अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान सरकार के फैसले की नजीर पेश करते हुए कहा गया कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि निजी स्कूलों द्वारा बिना कोई सेवा प्रदान किए फीस की मांग करना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यवसायीकरण के बराबर है.

यह तर्क दिया गया कि ऐसे स्कूलों द्वारा किए गए खर्च स्कूलों में आयोजित भौतिक कक्षाओं के अनुरूप नहीं थे। इसलिए, छात्र 2019-20 शैक्षणिक सत्र के दौरान भुगतान किए गए समान स्कूल शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है.

वही स्कूल संचालकों की ओर से जनहित याचिका का विरोध किया करते हुए कहा गया कि कोविड के बावजूद उनका खर्च जारी था, क्योंकि वे सरकारी निर्देशों के अनुसार अपने स्टाफ और कर्मचारियों को नहीं हटा सकते थे और इसके लिए उन्होंने बड़ा खर्च किया है.

दो माह में लौटाए फीस

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान सरकार के फैसले के अनुसार ही उत्तर प्रदेश में भी कोविड के दौरान फीस का निर्धारण करते हुए 85 प्रतिशत राशि का भुगतान करने और शेष राशि को छात्रों को लौटाने के आदेश दिए है.

मुख्य न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि "यह स्पष्ट किया जाता है कि राज्य में अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क का भुगतान किया गया है, तो अभी भी अध्ययनरत छात्रों के मामले में, इसे भुगतान किए जाने वाले शुल्क में समायोजित किया जा सकता है. उन छात्रों के मामले में जो स्कूल से बाहर हो गए हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं, राशि की गणना की जा सकती है और उन छात्रों को लौटा दी जा सकती है.

पीठ ने फीस लौटाने की पूरी कवायद को दो माह के भीतर करने के आदेश दिए है.