नई दिल्ली: Delhi High Court ने मोटर दुर्घटना दावे से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए सड़क दुर्घटना में 100 प्रतिशत विकलांग हुई स्कूली छात्रा को 1.12 करोड़ मुआवजा देने का आदेश दिया है.
Delhi High Court में स्कूली छात्रा की ओर से दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जो कि सड़क दुर्घटना में उसे लगी चोटों के मुआवजे के रूप में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा ₹47.49 लाख का मुआवजा तय करने के खिलाफ दायर की गई थी.
अपीलकर्ता ज्योति सिंह की ओर से दायर अपील में कहा गया कि वर्ष 2017 में स्कूल से अपने घर जाने के दौरान मोटर वाहन द्वारा उसके साथ दुर्घटना कारित की गई. इस दुर्घटना के चलते वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी, जिससे वह स्थायी रूप से विकलांग हो गई थी.
याचिकाकर्ता छात्रा के अनुसार अब वह जीवनभर एक व्हीलचेयर के साथ उसे जीवन व्यतित करना होगा. अपील में कहा गया कि वह कही भी आने जाने से लेकर वाशरूम जाने जैसी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी परिचारक की सहायता के बिना अपने दम पर चलने में असमर्थ हैं क्योंकि वह रीढ़ और दोनों निचले अंगों से 100 प्रतिशत अक्षमता से पीड़ित हैं.
दुर्घटना के चलते स्कूली छात्रा के पेट के नीचे का शरीर स्थित हो गया है, जिसमें उसके मूत्राशय और मल त्याग पर नियंत्रण भी नही है. अपील में कहा गया कि वह अब जीवनभर परिचारकों पर निर्भर रहेगी.
अपील में कहा गया कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण कई आर्थिक मदों पर विधिवत तरीके से विचार नहीं कियाऔर उन मदों के तहत दावों को बिना किसी स्थायी औचित्य के अस्वीकार कर दिया गया, जो भविष्य के लिए एक पीड़िता के लिए काफी आवश्यक है.
मेडिकल रिपोर्ट सहित रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद, उच्च न्यायालय ने कंसल द्वारा उठाई गई दलीलों को स्वीकार कर लिया और कुल 1,12,59,389 रुपये के मुआवजे की गणना की.
14 वर्षिय अपीलकर्ता ज्योतीसिहं 1 दिसंबर 2017 को दोपहर में स्कूल से अपने घर लौट रही थी, इसी दौरान उसे एक वाहन ने अपनी चपेट में ले लिया. मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने उसे 47 लाख 49 हजार रुपये का मुआवजा दिया.
ज्योतिसिहं ने ट्रिब्यूनल के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि चूकि उसके शरीर के नीचे का भाग उसके नियत्रंण में नही है इसलिए उसे जीवन भर डायपर, पैड, सैनिटरी शीट की आवश्यकता होगी और उसके बेड-शीट, वेट वाइप्स, टिश्यू-पेपर, दस्तानों और अन्य सामग्री को नियमित रूप से बदलना होगा.
अपील में कहा गया कि स्वस्च्छता व्यय के मद में प्रतिमाह 5 हजार के हिसाब से कुल 60 हजार वार्षिक की गणना की गयी है जो बहुत कम है.
हाईकोर्ट ने इस सैनिटरी व्यय मद के ट्रिब्यूनल के आदेश में बदलाव करते हुए 10 लाख 80 का अवार्ड जारी किया. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके अन्य मदों में बढोतरी कि जिसमें पारिचारक व्यय के मद में 27,85,536, physiotherapy के लिए 24,84,000, विवाह की हानि के लिए 3 लाख रूपये और जीवन के आनंद के नुकसान और पीड़ा के लिए 15 लाख का अवार्ड तय किया.
दिल्ली हाईकोर्ट स्कूली छात्रा ज्योतिसिंह के दावे पर ट्रिब्यूनल के फैसले में बदलाव करते हुए अलग अलग मदों में कुल 65 लाख 9 हजार रूपये की बढोतरी करते हुए 1.12 करोड़ का मुआवजा देने का आदेश दिया है.