मंगलवार (02 अप्रैल, 2024) के दिन दिल्ली हाईकोर्ट ने INDIA एक्रोनिम के प्रयोग पर बड़ा फैसला सुनाया है. उच्च न्यायालय ने कहा, विपक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए आखिरी मौका दिया जा रहा है. अगर विपक्ष अपना जबाव देने में असफल रहती है, तो अदालत उस दिन अपना फैसला सुनाएगी. विपक्षी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन का नाम INDIA रखा है. विपक्ष ने INDIA का पूरा नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्ल्युसिव एलायंस' यानि भारतीय राष्ट्रीय विकासवादी समावेशी गठबंधन बताया है. बता दें कि विपक्ष द्वारा INDIA एक्रोनिम प्रयोग करने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई थी. याचिका में प्रतीक और नाम (अनुचिक प्रयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950 के उल्लंघन का दावा किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट में INDIA एक्रोनिम यूज करने को लेकर याचिका दायर है. उच्च न्यायालय से विपक्ष को आठवीं बार नोटिस जारी किया जा चुका है. इस नोटिस का विपक्ष ने अब तक जबाव नहीं दिया है.
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत सिंह प्रीतम की डिवीजन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. बेंच ने विपक्ष को आखिरी मौका दिया है कि वे याचिका पर अपना जबाव दें. कोर्ट ने मामले को 10 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया है. साथ ही विपक्ष को हिदायत दी है कि वे अगर अपना जबाव दायर करने में असफल रहते हैं, तो अदालत 10 अप्रैल को इस याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील वैभव सिंह ने कहा. विपक्षी गठबंधन और केन्द्र सरकार को आठवीं बार नोटिस भेजा जा चुका है. दोनो की तरफ से कोई जाबव नहीं आया है.
गिरीश भारद्वाज नामक शख्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दा.र की. याचिका में देश के विपक्षी पार्टियों द्वारा अपनी याचिका में INDIA शब्द का प्रयोग करने पर रोक लगाने की मांग की. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया. INDIA शब्द का प्रयोग प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950 के सेक्शन 2 और 3 के तहत वर्जित है.
याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायाल ने 26 विपक्षी पार्टियों और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. चुनाव आयोग ने जबाव दिया. वे राजनीतिक गठबंधन के मामलें उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है. वहीं, विपक्ष की तरफ से जबाव आना अभी बाकी है. आठवीं बार नोटिस भी भेजा जा चुका है.
वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को करेगी. अगर इस दौरान विपक्षी पार्टी की तरफ से जबाव नहीं आया, तो वे इस विषय पर अपना फैसला भी सुनाएगी.