दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर में राउ कोचिंग सेंटर (Rau's Coaching Centre) के बेसमेंट के सह-मालिकों ने जमानत के लिए एक विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अदालत का रुख किया है. बेसमेंट में पानी भरने से तीन स्टूडेंट्स की मौत हो गई. कार्रवाई स्वरूप बेसमेंट मालिकों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया. बीएनएस की धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या) सहित अन्य सुसंगत धाराओं में मामले को दर्ज किया. पिछली सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी, जिसके बाद आरोपियों ने जमानत की मांग के लिए सीबीआई कोर्ट में याचिका दायर की है. राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी.
राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुज बजाज चंदना आज बेसमेंट के सह-मालिकों की याचिका पर सुनवाई करेंगे. बता दें कि आरोपियों पर 27 जुलाई को पुलिस स्टेशन राजिंदर नगर में दर्ज मामले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 105, 106 (1), 115 (2), 290 और 3 (5) के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों को 28 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था.
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी व्यक्तियों ने इस आधार पर जमानत मांगी है कि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि आवेदक का नाम एफआईआर में नहीं था और आवेदक, अन्य सह-मालिकों के साथ, खुद नेकदिल बनकर पुलिस स्टेशन गए और जांच अधिकारी की हिरासत में चले गए, इस तथ्य के बावजूद कि आईओ ने उन्हें बुलाया तक नहीं था, जो स्पष्ट रूप से आवेदकों की ईमानदारी को दर्शाता है. यह भी कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी व्यक्तियों द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए सबमिशन पर विचार नहीं किया. यह भी कहा गया है कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पंजीकृत लीज डीड और उसकी शर्तों पर विचार नहीं किया, जो कानून की नजर में न्यायिक पवित्रता रखते हैं और सह-मालिकों की स्थिति और स्थान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. यह भी कहा गया है कि कोर्ट इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा और इस पर विचार नहीं किया कि आवेदक ने कोचिंग सेंटर चलाने के लिए केवल बेसमेंट और तीसरी मंजिल को लीज पर दिया था, जो एमसीडी के मानदंडों के अनुसार अनुमत गतिविधि है.
आरोपी व्यक्तियों ने आगे कहा कि जमानत आवेदनों को खारिज करते समय, अदालत ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि बीएनएस अधिनियम की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्रावधान का आह्वान किसी भी तरह से आवेदक और अन्य सह-मालिकों के खिलाफ मामले के दिए गए तथ्यों का ध्यान आकर्षित नहीं करता है, क्योंकि उनका कभी भी ऐसा कोई "इरादा" नहीं था और न ही उन्हें ऐसा कोई "ज्ञान" था जैसा कि अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपित किया गया है और यह भी तथ्य कि अभियोजन पक्ष आवेदकों को किसी भी कार्य के साथ स्थापित और जोड़ नहीं सका, ऐसे अपराध को करने का इरादा और ज्ञान तो बहुत दूर की बात है.
दिल्ली हाईकोर्ट के 2 अगस्त 2024 के आदेश के बाद तीस हजारी स्थित सत्र न्यायालय ने 5 अगस्त 2024 के आदेश के जरिए जमानत याचिका को उचित अदालत में जाने की छूट के साथ खारिज कर दिया. इससे पहले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने 31 जुलाई 2024 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने आरोपियों को सक्षम अदालत में जाने की छूट दी है.