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Nuh Voilence Case: कथित 'अवैध इमारतों' को गिराने पर सरकार से मुआवजे की मांग, Punjab And Haryana High Court में दायर हुई याचिका

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में नूंह विध्वंस मामले से जुड़ी एक याचिका दायर हुई जिसमें अधिकारियों द्वारा तोड़फोड़ से हुए नुकसान की भरपाई की मांग की गई है.

Written by My Lord Team |Published : January 25, 2024 3:39 PM IST

नई दिल्ली: पिछले साल हरियाणा के नूंह में हिंसा भड़की. जिस पर त्वरित करते हुए हरियाणा राज्य के अधिकारियों ने कई इमारतों को अवैध बताकर तोड़ दिया. सरकार ने मामले में यह बताया कि यह कार्रवाई उन्होंने दंगे में संलिप्त लोगों के खिलाफ की है. ऐसे में दो पीड़ितो ने सरकार से मुआवजे की मांग करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

याचिका में तोड़े गए इमारतों को वैध बताया गया है. साथ ही दावे को साबित करने के लिए जरूरी कागजात भी होने की बात कही. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बिना पूर्व सूचना के हमारे संपत्तियों को मनमाने ढंग से तोड़ दिया गया, परिणामस्वरूप हमें अपने घर से हाथ धोना पड़ा साथ ही भावनात्मक रूप से भी परेशानी का सामना करना पड़ा. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि प्रशासनिक कार्रवाई के बाद उन्हें अपने जगह से स्थानांनतरित होना पड़ा, परिणामस्वरूप उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा.

कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

बता दें कि, नूंह हिंसा मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया. और हरियाणा सरकार द्वारा की जा रही प्रशासनिक कार्रवाही पर रोक लगाई. कोर्ट ने कहा कि घटना में एक मुद्दा यह भी है कि कानून और व्यवस्था की आड़ में किसी समुदाय विशेष की इमारतों को नहीं गिराया जा रहा. नूंह के उपायुक्त ने जबाव देते हुए बताया, कि कानूनी की अनदेखी कर हमनें कोई कदम नहीं उठाया है, अवैध निर्माण को गिराते वक्त हमनें सारी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है. पिछले साल नवंबर, 2023 में कोर्ट ने मामले की कार्यवाही को राज्य सरकार के निवेदन करने पर 29 जनवरी, 2024 के लिए टाल दिया गया था.

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क्या है मामला?

31 अगस्त, 2023 को हरियाणा के नूह (मेवात) में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की. यह हिंसा विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के भगवा यात्रा के दौरान फैली. जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए हरियाणा सरकार ने हिंसा में शामिल लोगों की पुष्टि कर उनके संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया. साथ ही प्रशासन ने इन निर्माणों को अवैध बताया. वहीं, घटना के पीड़ितों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए प्रशासनिक कार्रवाई में हुए नुकसान की भरपाई की मांग की है.