नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जी मेन्स (Jee Mains) इंट्रेस परीक्षा (Entrance Exam) कंडक्ट करवाती है. इस प्रवेश परीक्षा में देश भर के लाखों छात्र भाग लेते हैं. अब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency) ने रिजल्ट जारी करने की प्रक्रिया में बदलाव किया है. एनटीए की इस नार्मलाइजेशन प्रोसीजर (Normalisation Procedure) को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है. ये मामला सेतु विनीत गोयनका vs नेशनल टेस्टिंग एजेंसी है. [Setu Vinit Goenka vs National Testing Agency]
जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने इस मामले को सुना. जस्टिस ने पाया कि नार्मलाइजेशन प्रक्रिया प्रश्नों के डिफिकल्टी लेवल से आने वाले अंतर को कम करने का प्रयास करती है.
बेंच ने कहा,
“हमारे पास सामान्यीकरण प्रक्रिया की जटिलताओं में विषयगत रूप से जाने की विशेषज्ञता नहीं है. ये शैक्षणिक नीति के मामले हैं, जिनमें न्यायालय को प्राधिकारियों के समक्ष मामला स्थगित करना पड़ता है, जब तक कि प्रक्रिया मनमानी न हो या इसके परिणाम संवैधानिक रूप से अस्थिर न पाए जाएं, जिसे न्यायालय किसी भी कीमत पर बरकरार नहीं रख सकता. वर्तमान रिट याचिका में दिए गए कथनों में ऐसा कोई संदर्भ नहीं है.”
सिंगल-जज बेंच ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामले, जिनसे लाखों बच्चों का भविष्य जुड़ा है, कोर्ट को भी बहुत सावधानी दिखानी पड़ती है.
जस्टिस ने कहा,
"यह तथ्य कि आईआईटी जेईई जैसी परीक्षा, जो इंजीनियरिंग से जुड़े संस्थानों में प्रवेश को संचालित करती है, अदालती कार्यवाही का विषय हो सकती है, अपने आप में एक गंभीर मुद्दा है. यह परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के मन में भी अनिश्चितता पैदा करता है. इसलिए, अदालतों को ऐसे मामलों में नोटिस जारी करते समय भी बेहद सावधान रहना होगा. यदि अपनाई जा रही प्रक्रिया संवैधानिक रूप से से अस्वीकार्य है, तभी ऐसे मामले नोटिस जारी किया जा सकता हैं.''
याचिकाकर्ता सेतु विनीत गोयंका ने NTA के नार्मलाइजेशन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग. कोर्ट ने कहा कि NTA ने नार्मलाइजेशन फैक्टर के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया है. NTA ने इस पर कोर्ट को बताया कि एक छात्र के मूल अंक (प्राप्त अंक) प्रतिशत अंकों (Percentile Marks) से भिन्न होते हैं जो सामान्यीकरण के आधार पर छात्रों को दिए जाते हैं।
लाखों छात्र परीक्षा में शामिल होते हैं. लाखों छात्रों की परीक्षा पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से लेने में NTA को कई दिन लगते है. साथ ही ये परीक्षा दिन के दोनो शिफ्ट में होती है. इसे ध्यान में रखते हुए NTA चार या पांच तरह के Question Set बनाती है. परीक्षा देने के बाद छात्र अक्सर पेपर के कठिन या आसान होने की बात करते हैं. किसी शिफ्ट में आसान तो किसी दिन के परीक्षा में कठिन पेपर आए. जाहिर सी बात हैं, जिनके पेपर हार्ड आए, उनके मार्क्स कम और आसान पेपर वालों के ज्यादा मार्क्स आएंगे. NTA इस समस्या को दूर करने के लिए नार्मलाइजेशन प्रक्रिया लेकर आई है. जो इन कठिन और आसान प्रश्नों के कारण छात्रों के अंको में आनेवाली अंतर को कम करेगी. नार्मलाइजेशन फैक्टर में छात्र को पर्सेंटाइल अंक दिए जाते हैं, जो परीक्षा में आए सबसे ज्यादा मार्क्स के आधार पर तय किया जाता है.