नई दिल्ली: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामाकृष्णा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी मामले में रामकृष्णा को सशर्त जमानत दे दी है.
NSE कर्मचारियों की फोन अवैध टैपिंग के मामले में चित्रा को पहले ही दिल्ली की एक अदालत द्वारा जमानत दी जा चुकी है. लेकिन इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन मामले में वो जेल में थी.
चित्रा जमानत याचिका पर दोनो पक्षो की बहस के बाद 15 नवंबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. जस्टिस जसमीत सिंह की एकलपीठ ने गुरूवार को न्यायालय समय शुरू होने के साथ ही चित्रा रामाकृष्णा की जमानत पर फैसला सुनाते हुए सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.
जमानत याचिका के विरोध में ईडी की ओर से कहा गया कि यह मामला चित्रा रामकृष्ण के खिलाफ सेबी के 11 फरवरी 2022 के आदेश से दर्ज हुआ था जिसमें पाया गया कि वह एनएसई के एक अन्य पूर्व कर्मचारी आनंद सुब्रमण्यम के मुआवजे के निर्धारण और बार-बार संशोधन से संबंधित वित्तीय गड़बड़ी में शामिल थी.
ईडी में दर्ज मामले में चित्रा पर आरोप लगाए गए कि सिद्ध पुरुष" सुब्रमण्यम के साथ मिलीभगत करके वित्तीय गड़बड़ी की है.
यह भी आरोप लगाया गया कि सुब्रमण्यन ने आम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए अपने सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करते हुए अन्य सह-आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची और विभिन्न व्यापारिक सदस्यों/दलालों को भारी लाभ पहुंचाया और इस तरह एक गंभीर आर्थिक अपराध किया।
चित्रा के खिलाफ यह भी आरोप था कि वह हिमालयी योगी के साथ ई-मेल के माध्यम से संपर्क में थी, जिसे सीबीआई ने बाद में योगी के रूप में सुब्रमण्यम की पहचान की थी.
आरोपो का जवाब देते हुए चित्रा की ओर से कहा गयाा कि उसका दलालों से कोई संबंध नहीं था, और जांच के अनुसार उनमें से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया था.चित्रा के अधिवक्ता ने महिला होने के नाते भी पीएमएलए की धारा 45 (1) के प्रावधान के तहत राहत की मांग की थी.
गौरतलब है कि इस पुरे मामले का खुलासा 2015 में सिंगापुर स्थित एक व्हिसलब्लोअर के सामने आने के बाद हुआ था. व्हिसलब्लोअर ने आरोप लगाया कि दिल्ली के एक व्यक्ति की एनएसई के सर्वर तक पहुंच है, जहां से वह प्राइज इंफॉर्मेशन भी हासिल कर लेता है. बाद में इस घपले को लोकेशन स्कैम के नाम से जाना जाने लगा, जहां कथित तौर पर कुछ चुनिंदा व्यापारियों को एक्सचेंज में को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से डेटा और ट्रेडिंग सिस्टम में तरजीह दी गई थी.
मामला विवादों में आने पर सेबी ने जांच के लिए एक तकनीकी सलाहकार समिति का गठन किया. इस कमेटी ने व्हिसलब्लोअर के दावों के समर्थन में कई सबूत जुटाए. मामला बढा और फिर आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति को लेकर चित्रा भी जांच के दायरे में आ गई.
शेयरधारकों ने उन पर इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में देरी करने का भी आरोप लगाया. इन सारे विवाद व आरोपों के बीच चित्रा रामकृष्ण ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए दिसंबर 2016 में एनएसई के सर्वोच्च पद से इस्तीफा दे दिया था.
सेबी की जांच सामने आने के बाद इस पुरे मामले का विस्तृत खुलासा हुआ. सेबी ने खुलासा किया कि 308 करोड़ की पूंजी वाले देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज की सीईओ अपने कार्यकाल के दौरान किसी योगी से ईमेल पर सलाह मांगती थीं. सेबी ने रिपाेर्ट में 338 बार इस अज्ञात योगी के बारे में लिखा. लोग इस रिपाेर्ट को पढ़कर इस चर्चा में जुट गए हैं कि क्या इतना बड़ा शेयर बाजार एक अज्ञात योगी के इशारे पर चल रहा था.
चित्रा 1992 में बने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना करने वाली टीम में शामिल थीं. फॉर्चून जैसी मैग्जीन ने चित्रा रामाकृष्ण को विश्व की 17वें नंबर की पॉवरफुल वुमन बताया था.