इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी द्वारा समन भेजने के फैसले पर बड़ा निर्देश दिया है. उच्च न्यायालय ने ईडी से कहा. अगर आपके पास ECIR नहीं है, कम से कम जिस व्यक्ति को समन कर रहे हैं, उसे पूछताछ के कारणों से अवगत कराने के लिए कोई डॉक्यूमेंट्स तो दें जिससे वह जांच में पूरा करने में सहयोग कर सकें, उक्त मामले से संबंधित उचित कागजात जमा कर अपनी बात रख सकें. समन के दौरान ईडी को व्यक्ति के ऊपर लगे आरोपों को भी स्पष्ट बताना चाहिए.
Enforcement Case Information Report (ECIR) को हम ईडी की FIR कह सकते हैं. जैसे पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के वक्त कारण बताना होता है. लेकिन यह ईडी के साथ अलग है. शक के आधार पर ईडी किसी व्यक्ति को समन भेज सकती है. समन पे आने पर व्यक्ति से पूछताछ करती है, तो अगर ईडी को लगता है व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार हैं, तो वह व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के समय ECIR देने की अनिवार्यता को पहले ही रद्द कर दिया है. जिसे ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी को समन का आधार बताने के निर्देश दिए हैं.
जस्टिस मोहम्मद फैज आलम खान ने समन भेजने के मामले में कहा. पूछताछ या जांच की प्रक्रिया में सभी पक्षों के लिए समान होना चाहिए. अगर ईडी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के सेक्शन 50 के तहत, अगर ईडी किसी को बुलाती है, उसे कम-से-कम उक्त व्यक्ति को आरोप के विषय में ज्ञात कराना चाहिए.
जस्टिस फैज आलम ने कहा,
"सामान्य तौर पर, ईडी अगर किसी व्यक्ति को समन करती है, तो उसे ECIR की कॉपी नहीं, तो कम से कम पूछताछ के लिए बुलाए गए कारणों को अवश्य बताएं. "
जस्टिस ने आगे कहा. कोई भी व्यक्ति ईडी के समन की अनदेखी नहीं कर सकता है. साथ ही साथ पूछताछ के दौरान गिरफ्तारी होने के आसार को आधार बनाते हुए ईडी के समन से बच भी नहीं सकता हैं.
ईडी ने लखनऊ के एक कंपनी के खिलाफ अलग-अलग कारणों से दो ECIR दायर की है. लखनऊ की इस कंपनी के खिलाफ एसएफआईओ (SFIO) जांच हो रही है. याचिकाकर्ता अभिषेक मुकुंद को ईडी ने फरवरी में समन भेजा था. उसे ये समन दो ECIR में भेजी गई है. याचिकाकर्ता ने ईडी पर आरोप लगाया कि ये समन उसे परेशान के लिए भेजा गया है.
अदालत ने तथ्यों पर गौर करते हुए कहा, इस याचिका में याचिकाकर्ता को बुलाए जाने के कारणों की जानकारी नहीं है. वहीं, ईडी भी के पास आधार है, तो वह व्यक्ति पर कानूनन कार्रवाई करने के लिए बाध्य है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनो ECIR एवं समन को खारिज करने से मना कर दिया है.