Advertisement

धर्मांतरण मामले में Supreme Court से मध्यप्रदेश सरकार को नही मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने डीएम के सामने धर्म परिवर्तन की घोषणा के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : January 3, 2023 12:47 PM IST

नई दिल्ली: धर्म परिवर्तन को लेकर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि देश में होने वाले सभी धर्मांतरण अवैध नहीं है.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए नोटिस भी जारी किया है.

सरकार को राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट किया कि शादी या धर्मांतरण पर कोई रोक नहीं है. जिला मजिस्ट्रेट को केवल सूचित किया जा सकता है इसी पर रोक लगाई गई है.

Also Read

More News

जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सभी धर्मांतरण को अवैध नहीं कहा जा सकता है. हम ये तो कह सकते हैं कि धर्मांतरण मामले की सूचना दी जाए, लेकिन सूचना ना देने पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से मध्यप्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है. धर्मांतरण को लेकर मध्यप्रदेश सरकार काफी मुखर रही है. लेकिन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने से मध्यप्रदेश सरकार को मुश्किल हुई है.

क्या कहा सरकार ने

सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रख रहे एसजी तुषार मेहता ने तर्क दिया कि, "शादी या धर्मांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट को केवल सूचित किया जा सकता है, यह बस एक रोक है"

जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार नहीं कर रहा हैं और यदि राज्य के पास कोई जवाब है तो सुनवाई की अगली तारीख पर पेश किया जा सकता है.

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत अनिवार्य शर्त को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था.

हाईकोर्ट का आदेश

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की पीठ ने 14 नवंबर 2022 के आदेश में अंतरिम आदेश देते ुए कहा था कि "अधिनियम की धारा 10 धर्मांतरण के इच्छुक नागरिक के लिए जिला मजिस्ट्रेट को इस संबंध में एक घोषणा देने के लिए अनिवार्य बनाती है, जो कि हमारी राय में, इस न्यायालय के पूर्वोक्त निर्णयों के अनुसार असंवैधानिक है. इस प्रकार, अगले आदेश तक, राज्य  वयस्क नागरिकों पर मुकदमा नहीं चलेगा यदि वे अपनी इच्छा से विवाह करते हैं और अधिनियम 21 की धारा 10 के उल्लंघन के लिए कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अधिनियम में किए गए अनिवार्य सूचना का प्रावधान, जिसके लिए किसी व्यक्ति के धर्मांतरण से पहले जिला मजिस्ट्रेट को अधिसूचित करने की आवश्यकता होती है,  पहली नजर में ‘ असंवैधानिक' है और राज्य सरकार को धारा 10 के तहत किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाने का निर्देश दिया था

इस धारा के अनुसार किसी भी नागरिक को अन्य धर्म में परिवर्तित होने से पहले स्थानीय जिला मजिस्ट्रेट को 60 दिनों पूर्व सूचना देना अनिवार्य था. ऐसा नहीं करने पर जिला मजिस्ट्रेट को कोई भी कठोर कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी 2023 को तय की है.