मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में त्योहारों और शादियों के दौरान ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया हैं. जनहित याचिका में दावा किया है कि शादियों व त्योंहारों के दौरान तय सीमा से ज्यादा आवाज में गाने बजाने से स्वास्थ्य की समस्याएं उत्पन्न होती हैं, वहीं बुजुर्गों को सोने में भी दिक्कत होती है. याचिकाकर्ताओं ने इस समस्या को तत्परता से निपटने को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने बुधवार को केंद्र सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जनहित याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ गोविंद प्रसाद मिश्रा, सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक आरपी श्रीवास्तव, पूर्व कार्यपालक अभियंता (सिंचाई विभाग) केपी रेजा और सेवानिवृत्त सहायक भूविज्ञानी वाईएन गुप्ता सहित कई लोगों द्वारा दायर की गई है.
याचिकाकर्ताओं के वकील आदित्य सांघी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वे प्रतिवादियों को मध्यप्रदेश में ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दें. सांघी ने कहा कि डॉ. मिश्रा 82 वर्ष के हैं, जबकि श्रीवास्तव 100 वर्ष के हैं. उन्होंने कहा कि इस उम्र में वे ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए अपने वर्तमान आवास से किसी अन्य स्थान पर नहीं जा सकते हैं. सांघी ने अदालत को बताया कि डेसिबल का स्तर इतना अधिक है कि खिड़कियों के शीशे भी हिलते हैं और कोई भी चैन से सो नहीं सकता, खासकर त्योहारों और शादियों के दौरान.
केंद्रीय नियमों के अनुसार, दिन के समय 75 डीबी (डेसिबल) की उच्चतम स्वीकार्य सीमा है. उन्होंने कहा कि आवासीय क्षेत्रों में यह 45 डीबी और रात में शांत क्षेत्रों में 40 डीबी है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि 80 डीबी से अधिक की ध्वनि सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है. उन्होंने तर्क दिया कि अधिकारियों द्वारा उनकी शिकायतों का समाधान नहीं किए जाने के बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण करने पर किसी व्यक्ति को पांच साल जेल व एक हजार रूपये से लेकर एक लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं पहली के बाद भी जब दूसरी बार जारी रहती है कि सात साल जेल की सजा व हर दिन के अनुसार 5000 रूपये का जुर्माना लगाया जाता है.