Nivea vs Ponds: महिलाओं या युवा लड़कों में सजने-संवरने को लेकर, या दोनों में कौन सी क्रीम या लोशन बेहतर है, इसे लेकर चर्चाएं होनी सामान्य सी बात है(गुजारिश है कि इसे स्टीरियोटाइप से जोड़ कर ना देखें). लेकिन ये व्यवसाय के मार्केट में भी ये दावे आम है. कंपनियां भी खुद के प्रोडक्ट्स को सबसे बेहतर बताने का दावा करती है. इसी तरह का विवाद निविया और पॉन्ड्स में छिड़ी हुई है. मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक गई. अदालत ने भी बीचबचाव करते हुए दोनों की तुलना पर रोक लगा दी है. बता दें कि निविया क्रीम बनाने वाली कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में पॉन्ड्स क्रीम बनाने वाली कंपनी के खिलाफ निषेधाज्ञा आवेदन जारी करने की मांग की थी, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने पॉन्ड्स के ब्लू टब वाली मार्केटिंग टैक्सिस पर रोक लगाई है.
दिल्ली और गुरूग्राम के कई मॉल में निविया और पॉन्ड्स की तुलना करके 'पॉन्ड्स' के प्रोडक्ट्स का सेल किया जा रहा था. सेल के दौरान पॉन्ड्स के प्रोडक्ट्स और ब्लू टब का प्रयोग करके ग्राहकों को बताया जा रहा था कि कैसे पॉन्ड्स सुपरलाइट जेल कैसे बेहतर अन्य उत्पादों से बेहतर है. पॉन्ड्स सुपरलाइट्स जेल त्वचा पर ब्लू टब वाली क्रीम से कम तैलीय अवशेष छोड़ता है.
इससे निविया क्रीम बनाने वाली कंपनी बियर्सडॉर्फ एजी (Beiersdorf AG) ने आपत्ति जताते हुए पॉन्ड्स बनाने वाली कंपनी हिन्दूस्तान यूनिलिवर्स (Hindustan Unilever) के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा (Interim Injunction) आदेश पारित करने की मांग की. दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रोडक्ट्स को बेचने का यह तरीका गलत है और इस तरह से मार्केटिंग पर रोक लगा दी है.
दिल्ली हाईकोर्ट में, जस्टिस अनीश दयाल की बेंच के सामने इस मामले को पेश किया गया. बेंच ने पॉन्ड्स को इस तरीके से प्रचार करने पर रोक लगा दी है.
बेंच ने कहा,
"निविया उत्पादों की तुलना करने वाली विवादित गतिविधि वादी के उत्पादों या व्यवसाय की अवमानना या अपमान के समान है."
पॉन्ड्स ने क्या कहा?
पॉन्ड्स ने जवाब दिया. वे केवल ब्लू टब का प्रयोग कर रहे थे, उस पर किसी रंग का नाम नहीं लिखा था. 'ब्लू रंग की टब' पर निविया का किसी तरह का एकाधिकार नहीं है. उन्होंने दावा किया कि पॉन्ड्स सुपरलाइट्स जेल, ब्लू टब की तुलना में कम चिपचिपी थी.
निविया ने प्रत्युत्तर दिया,
"वे अलग-अलग कैटोगरी के उत्पादों की तुलना करके अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर दिखा रहे हैं."
अदालत ने आगे कहा कि प्रिंट, डिजिटल और टीवी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून मॉल में आयोजित व्यवसाय अभियानों पर भी लागू होने की बात कहीं.
अदालत ने कहा,
"कम से कम प्रिंट, डिजिटल और टीवी में एक विज्ञापन में, मूल्यांकन उस तक सीमित है जो विज्ञापन में देखा या सुना जाता है. एक मॉल के अंदर किए जा रहे मार्केटिंग अभियान में आक्षेप की संभावनाएं होती हैं ये थोड़ी सी संभावनाएं के प्रभाव असीमित होगी."
हालांकि, कोर्ट ने पॉन्ड्स को आगे से, इस तरह से, प्रचार करने से मना किया है.