मुंबई की विशेष अदालत (एंटी करप्शन ब्रांच -ACB ) ने शनिवार को कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन के एक मामले में पूर्व सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और SEBI के पांच शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. साथ ही पुलिस को जांच की स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) 30 दिनों में सबमिट करने का आदेश दिया है.
जज शशिकांत एकनाथराव बांगर ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री की समीक्षा करने पर, यह न्यायालय पाता है कि आरोपों में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है, जिसके लिए जांच की आवश्यकता है. अदालत ने नियामक (Regulator) की चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं, जिसके लिए निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है. कानून प्रवर्तन और सेबी द्वारा निष्क्रियता के कारण धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 156(3) के अनुसार, मजिस्ट्रेट पुलिस को जांच करने का आदेश दे सकता है.
एसीबी अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए. अदालत ने आदेश देते हुए कहा, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल (1992) सप (1) एससीसी 335 में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए, जिसमें कहा गया कि यदि कोई शिकायत संज्ञेय अपराध का खुलासा करती है, तो एफआईआर पंजीकरण अनिवार्य है, और ऐसा न करना वैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन है. आरोपों की गंभीरता, लागू कानूनों और स्थापित कानूनी मिसालों को ध्यान में रखते हुए, यह न्यायालय इसे उचित मानता है.
माधवी पुरी बुच का कार्यकाल एक मार्च को समाप्त हुआ है. उनकी जगह कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने तुहिन कांता पांडे को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए अध्यक्ष के रूप में मंजूरी दे दी है. वे तीन साल तक इस पद पर रहेंगे. वे माधबी पुरी बुच का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 1 मार्च को समाप्त हुआ है.