सीबीआई ने शीना बोरा हत्याकांड मामले में गवाहों की सूची से 65 नाम हटा दिए हैं. इनमें पीटर मुखर्जी की पूर्व पत्नी शबनम सिंह भी शामिल हैं.पहले सीबीआई ने शुरू में 125 गवाहों की अंतिम सूची सौंपी थी, जिसमें इंद्राणी मुखर्जी की बेटी विधि मुखर्जी भी शामिल थीं. 65 नामों के हटने के बाद अब गवाहों की संख्या कम होकर 60 रह गई है. मुंबई की स्पेशल कोर्ट मामले की सुनवाई रोजाना आधार पर हो रही है और मामला गवाहों की परीक्षण स्टेज में है. बता दें कि इस मामले में मुख्य आरोपी शीना बोरा की मां इंद्राणी मुखर्जी हैं. उनके पूर्व पति पीटर मुखर्जी और संजीव खन्ना भी आरोपी हैं. श्यामवर राय ने इस मामले में अपराध स्वीकार कर लिया है.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शीना बोरा (24) की कथित तौर पर इंदरानी मुखर्जी, उनके तत्कालीन ड्राइवर श्यामवर राय और पूर्व पति संजीव खन्ना ने अप्रैल 2012 में मुंबई में एक कार में गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद शीना बोरा के शव को पड़ोसी रायगढ़ जिले में जंगल में जला दिया गया था. बोरा, इंदरानी मुखर्जी और उनके पूर्व पति की संतान थी. हत्या का मामला 2015 में तब प्रकाश में आया जब राय ने शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज एक अलग मामले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान कथित तौर पर इस राज से पर्दा हटाया था. मुखर्जी के पूर्व पति पीटर मुखर्जी को भी कथित तौर पर हत्या से जुड़ी साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसकी जांच सीबीआई ने की थी. सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर हैं.
यात्रा प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया जब 19 जुलाई को एक विशेष अदालत ने मुखर्जी की अगले तीन महीनों में स्पेन और ब्रिटेन की 10 दिन की यात्रा के अनुरोध वाली याचिका को स्वीकार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह मामले की कार्यवाही एक साल के भीतर पूरी करे. पीठ ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आप वापस आएंगी, मुकदमा की सुनवाई आगले चरण में पहुंच चुकी है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुकदमा अभी जारी है, हम इस चरण में अनुरोध पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. हम निचली अदालत को निर्देश देते हैं कि वह सुनवाई में तेजी लाए और एक साल के भीतर इसे पूरा करे.
सीबीआई ने विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था. बंबई हाई कोर्ट ने 27 सितंबर को विशेष अदालत के आदेश को रद्द कर दिया. मुखर्जी ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. अधिवक्ता सना रईस खान के माध्यम से दायर अपनी याचिका में मुखर्जी ने कहा कि वह एक ब्रिटिश नागरिक हैं और उन्होंने स्पेन तथा अपने देश की यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया है, ताकि आवश्यक परिवर्तन और संशोधन किए जा सकें और लंबित कार्य निपटाए जा सकें जो उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के बिना नहीं किए जा सकते. उन्होंने दलील दी कि स्पेन में सभी प्रासंगिक कार्यों और प्रशासन के लिए डिजिटल प्रमाणपत्र का सक्रिय होना आवश्यक है और इसके लिए उनकी उपस्थिति अनिवार्य है. विशेष अदालत के आदेश को रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर मुखर्जी भारत से ये कार्य करना चाहें तो स्वदेश स्थित वैधानिक प्राधिकारी उन्हें स्पेन और ब्रिटेन के दूतावासों की सहायता से आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे. बोरा की हत्या का मामला प्रकाश में आने के बाद मुखर्जी को अगस्त 2015 में गिरफ्तार किया गया था. मई 2022 में उन्हें उच्चतम न्यायालय ने जमानत दी थी.