आज तेलंगाना सरकार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ भूमि के मुद्दे पर कथित रूप से फैलाए जा रहे झूठे प्रचार के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया है. सरकार ने दावा किया है कि ये दुष्प्रचार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से तैयार वीडियो कंटेट के माध्यम से किया जा रहा है. इस विवाद का मुख्य कारण 400 एकड़ की जमीन के स्वामित्व का है. आंदोलनकारी छात्रों का दावा है कि यह भूमि हैदराबाद विश्वविद्यालय की है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि यह भूमि उसकी है। इस भूमि पर आईटी अवसंरचना के विकास की योजना को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
तेलंगाना सरकार ने याचिका में कहा है कि ये फर्जी विमर्श हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास स्थित 400 एकड़ जमीन पर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अवसंरचना विकसित करने के सरकार के प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं. सरकार ने इस भूमि का विकास आईटी अवसंरचना के लिए करने की योजना बनाई है.
याचिका के मुताबिक ये फर्जी विमर्श हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटी 400 एकड़ जमीन पर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अवसंरचना विकसित करने के सरकार के कदम में बाधा डाल रहे हैं. उन्होंने पांच अप्रैल को अधिकारियों को हैदराबाद विश्वविद्यालय की भूमि पर कथित अतिक्रमण के संबंध में भ्रामक AI Content के निर्माण की जांच के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया था. तेलंगाना सरकार द्वारा कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ भूमि को आईटी अवसंरचना बनाने के लिए विकसित करने की योजना का हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ ने विरोध किया है. हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ ने इस भूमि के विकास के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. छात्रों का दावा है कि यह 400 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय की है और राज्य सरकार का इस पर अधिकार नहीं है. अब इस मामले की सुनवाई अब तेलंगाना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार (3 अप्रैल) को तेलंगाना सरकार से हैदराबाद विश्वविद्यालय के बगल में स्थित भूखंड पर लगे बड़े वृक्षों को हटाने की मजबूरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा तथा अगले आदेश तक किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक लगा दी. राज्य में पेड़ों की कटाई को बहुत गंभीर मामला बताते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा उसके समक्ष पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट चिंताजनक तस्वीर पेश करती है. रिपोर्ट में अदालत को बताया गया कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं.
पीठ ने कहा,
‘‘हम निर्देश देते हैं कि अगले आदेश तक, पहले से मौजूद पेड़ों के संरक्षण के अलावा, किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि राज्य द्वारा नहीं की जाएगी.’’
पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से पूछा कि राज्य द्वारा पेड़ों को हटाने समेत विकासात्मक गतिविधियां शुरू करने की तत्काल इतनी क्या मजबूरी है. मुख्य सचिव को यह भी बताने का निर्देश दिया गया कि क्या राज्य ने ऐसी गतिविधियों के लिए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्रमाणपत्र प्राप्त किया है. शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि अगर उसे राज्य की ओर से कोई चूक मिली तो वह मुख्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
पीठ ने कहा,
‘‘उन्हें (मुख्य सचिव) झील के पास उसी स्थान पर बनाई गई अस्थायी जेल में भेजा जाएगा.’’
पीठ ने पूछा कि क्या पेड़ों को काटने के लिए वन प्राधिकरण या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण से अपेक्षित अनुमति ली गई थी. साथ ही काटे गए पेड़ों की स्थिति के बारे में भी बताने को कहा है. पीठ ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त एक समिति को संबंधित स्थान का दौरा करने और 16 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 16 अप्रैल निर्धारित की.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की शुरूआत में तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र का तत्काल दौरा करने का निर्देश दिया था. पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को अपराह्न 3:30 बजे तक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले की सुनवाई अपराह्न 3:45 बजे होगी. इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने पीठ के समक्ष उठाया, जो पर्यावरण से संबंधित मामले में न्यायमित्र के रूप में सुप्रीम कोर्ट की सहायता कर रहे हैं.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्यायमित्र कई समाचार रिपोर्ट को उसके संज्ञान में लाए हैं, जिनमें वहां बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई का दावा किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम तेलंगाना उच्च न्यायालय में जारी कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं.’’
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र विश्वविद्यालय परिसर से सटी 400 एकड़ जमीन को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य की कांग्रेस सरकार को इस संबंध में सभी कार्य तीन अप्रैल तक रोकने का निर्देश दिया है. हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ (यूओएचएसयू) और इससे संबद्ध अन्य यूनियनों और दलों ने अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है तथा कक्षाओं का बहिष्कार करने की घोषणा की है. छात्र संघ ने विश्वविद्यालय परिसर से पुलिसकर्मियों के साथ ही जमीन से भारी मशीनों को हटाने की मांग की है. छात्र समूहों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पारिस्थितिकी संरक्षण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए स्थल पर विकास कार्य करने के प्रस्ताव का विरोध किया.