नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने केन्द्र सरकार द्वारा कानूनी मामलो के प्रति अपनायी जाने वाली नीति को लेकर बड़ी बात कही है.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार को कानूनी विवादों को सुलझाने लिए मुकदमेबाजी का सहारा लेने के बजाय बड़े पैमाने पर मध्यस्थता का रवैया अपनाना चाहिए.
सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों का उद्देश्य मध्यस्थता होना चाहिए ना कि मुकदमेबाजी नहीं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ शुक्रवार को National Legal Services Authority और Mediation and Conciliation Project Committee के तत्वावधान में Delhi High Court Mediation and Conciliation Centre, Samadhan की ओर से आयोजित 'मध्यस्थता: एक स्वर्ण युग की शुरुआत' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.
CJI ने अपनी बात के पक्ष जोर देते हुए कहा कि "सरकार को एक दोस्त, एक साथी और एक समस्या सुलझाने वाला होना चाहिए.
सीजेआई ने कहा कि मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें असहमति को दूर करना, विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाना और एक सामान्य आधार खोजना शामिल है.
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि देश की अदालतों में सबसे बड़े पक्षकार होने के चलते सरकार जब मध्यस्थता करती है तो इससे यह संदेश जाता है कि कानून के दायरे में सरकार हमारे नागरिकों की विरोधी नहीं है.
CJI ने मध्यस्था का सबसे बड़ा उदाहरण देश के संविधान को बताते हुए कहा कि कैसे भारत का संविधान स्वयं एक मध्यस्थता प्रक्रिया से पैदा हुआ एक दस्तावेज है जिसमें निर्माताओं को कई असहमतियों को हल करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करनी थी.
CJI ने कहा कि "हमारे संविधान के निर्माताओं ने एक दस्तावेज बनाने की आवश्यकता को पहचाना जो हमारे लोगों की इच्छा और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करे. उन्हें कई असहमतियों को हल करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करनी थी.
CJI ने यह भी कहा कि आज के समय में मध्यस्थता इस मायने में अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है कि स्पेक्ट्रम के विपरीत छोर से लोगों के साथ तर्कपूर्ण बातचीत में संलग्न होने की हमारी क्षमता पर सवालिया निशान है।
उन्होंने कहा, "आज के भयावह समय में, नागरिकों के रूप में मध्यस्थता का हमारे लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है.
सीजेआई ने सवाल करते हुए कहा कि क्या हम एक-दूसरे से बात करने की अपनी क्षमता खो रहे हैं? क्या हम तर्कपूर्ण बातचीत में शामिल होने की अपनी क्षमता खो रहे हैं।"
उन्होने कहा कि मध्यस्थता दूसरों के दृष्टिकोण को सुनने में मदद करती है. "क्या यह आवश्यक नहीं है कि हमें मध्यस्थता से कुछ सीखना चाहिए, जो महत्वपूर्ण है, अच्छे श्रोता होने के नाते, दूसरे के दृष्टिकोण को समझना और न केवल इस बात पर जोर देना कि हम जिस हठधर्मिता का समर्थन करते हैं वह एकमात्र हठधर्मिता है जो समय के लिए प्रासंगिक है.
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से आयोजित संगोष्ठी में सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने मध्यस्था के जरिए मामलो को सुलझाने का आहवान किया.