इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) ने रेल यात्रा के दौरान महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटना को लेकर रेल मंत्रालय को तलब किया है. कोर्ट ने रेल मंत्रालय (Railway Ministry) से पूछा कि महिलाओं के साथ होनेवाली घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए है. कोर्ट ने चलती ट्रेन में महिला से दुष्कर्म की घटना को स्वत: संज्ञान (Suo motu) में लिया था. साल 2016 में हुई इस घटना पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.
जस्टिस ए. आर. मसूदी और जस्टिस बी. आर. सिंह की बेंच ने 2 फरवरी के दिन इस मामले में सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने रेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया. इस नोटिस में कोर्ट के 19.06.2016 के दिन दिए आदेश (Order) को साथ में लगाने को कहा है. नोटिस में कोर्ट ने रेल मंत्रालय से रेलवे स्टेशनों और चलती ट्रेनों में महिलाओं के दुर्व्यवहार की घटना को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे पूछा है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान मौजूद एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता को 3,75,000 मुआवजे में से 2,81,000 रूपये की राशि दी गई है. इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि पीड़िता को अब तक पूरी राशि क्यों नहीं दी गई. ऐसा कहकर कोर्ट ने मामले को 4 मार्च, 2024 के लिए स्थगित कर दिया.
घटना सितंबर, 2016 में मऊ जिले के पास की है, जहां एक महिला से गैंग रेप कर उसे चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था. घटना के प्रकाश में आने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान में लिया था. कोर्ट ने इस मामले में रेल मंत्रालय से पूछा है कि उन्होंने रेलवे स्टेशनों और चलती ट्रेन में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए है.