नई दिल्ली: केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) को सूचित किया कि उसने हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र किए जाने संबंधी घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है और कहा कि सरकार का रुख ‘‘महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध को बिल्कुल बर्दाश्त न करने का’’ है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उच्चतम न्यायालय आज इस मामले में होने वाली सुनवाई आज नहीं होगी. शीर्ष अदालत की एक नोटिस के अनुसार, मणिपुर मामले पर आज सुनवाई संभव नहीं हो सकेगी क्योंकि चीफ जस्टिस आज अवकाश पर है। इसलिए कोर्ट नंबर 1 में चीफ जस्टिस और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच नहीं बैठेगी और इस बेंच के सामने आज लगे मामलो पर आज सुनवाई नहीं संभव हो सकेगी.
गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के जरिए दाखिल हलफनामे में शीर्ष न्यायालय से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया ताकि मुकदमे की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, मणिपुर के कांगपोकपी जिले में चार मई को दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर उन्हें घुमाए जाने की घटना का पता 19 जुलाई को सामने आए एक वीडियो के जरिए चला। शीर्ष न्यायालय ने 20 जुलाई को घटना पर संज्ञान लिया था और कहा था कि वह वीडियो से ‘‘बहुत व्यथित’’ है और हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘‘किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है।’’
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र तथा मणिपुर सरकार को तत्काल उपचारात्मक तथा एहतियाती कदम उठाने तथा उन कदमों की जानकारी उसे देने का निर्देश दिया था। केंद्र ने अपना जवाब देते हुए कहा, ‘‘मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई 2023 को लिखे एक पत्र में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी जिसकी गृह मंत्रालय ने 27 जुलाई को लिखे पत्र द्वारा सचिव को अनुशंसा कर दी है।
अत: जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी।’ हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार का मानना है कि जांच जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए और मुकदमे की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी हो और यह सुनवाई ‘‘मणिपुर के बाहर होनी चाहिए।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘अत: केंद्र सरकार एक विशेष अनुरोध करती है कि यह अदालत अपराध के मुकदमे समेत पूरे मामले को मणिपुर के बाहर किसी भी राज्य में स्थानांतरित करने का आदेश दें।’’ हलफनामे में कहा गया है, ‘‘मुकदमे की सुनवाई किसी भी राज्य के बाहर स्थानांतरित करने का अधिकार केवल इस अदालत को है और केंद्र सीबीआई द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने की तारीख से लेकर छह महीने की सीमा के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का निर्देश देने का इस अदालत से अनुरोध कर रहा है।’’
इसमें कहा गया है कि मणिपुर सरकार ने बताया है कि सात मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और वे पुलिस हिरासत में हैं। केंद्र ने बताया कि पहचाने गए दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए विभिन्न स्थानों पर विशेष पुलिस दल गठित किए गए और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी को अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में मामले की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है। उसने कहा, ‘‘केंद्र सरकार का महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध को बिल्कुल न बर्दाश्त करने का रवैया है।
केंद्र सरकार इसके जैसे अपराधों को जघन्य मानती है जिनसे न केवल गंभीरता से निपटा जाना चाहिए बल्कि ऐसे न्याय होते दिखना चाहिए कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के संबंध में देशभर में इसका एक निवारक प्रभाव पड़े।’’ उपचारात्मक कदमों पर गृह मंत्रालय के सचिव ने बताया कि मणिपुर सरकार ने ‘‘विभिन्न राहत शिवरों में मानसिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए जिला मनोवैज्ञानिक सहयोग दलों’’ का गठन किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी घटनाओं के दोबारा होने से रोकने के लिए पुलिस थाना प्रभारी द्वारा ऐसे सभी मामलों को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को बताना अनिवार्य कर दिया गया है।’’ हलफनामे में कहा गया है कि डीजीपी स्तर के अधिकारी की सीधी निगरानी में एसपी पद का वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इन जांच पर नजर रखेगा।