सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को जातीय हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त या आंशिक रूप से नष्ट हुई संपत्तियों का विवरण देने का निर्देश दिया है, जिसमें अतिक्रमण भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी से याचिका पर सुनवाई शुरू करने वाला है. 3 मई, 2023 को भड़की हिंसा के बाद से, मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में हुए प्रदर्शनों में 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने याचिका पर सुनवाई 20 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए तय की है. पिछले साल अगस्त में शीर्ष अदालत ने पीड़ितों के राहत और पुनर्वास तथा उन्हें मुआवजा देने की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया था. इसके अलावा, अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने को कहा था. मणिपुर में तीन मई, 2023 को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और कई सौ घायल हुए हैं. बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था, जिसके बाद जातीय हिंसा भड़क उठी.