नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज मणिपुर ट्राइबल फोरम व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी परदीवाला की सुप्रीम कोर्ट की पीठ आज मणिपुर की स्थिति पर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शनिवार तक तीन याचिकाए दायर की जा चुकी है. इन याचिकाओं में मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश को भी चुनौती दी गयी है. साथ ही हिंसा की जांच के लिए एसआईटी गठन का अनुरोध किया गया है.
एक जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को मणिपुरी आदिवासियों को सुरक्षित निकालने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, 23 हजार से अधिक लोग सेना के शिविरों में रह रहे है उन्हे उनके घरो तक सुरक्षित पहुंचाने की मांग की गयी है.
जनहित याचिका के अलावा, मेइती समुदाय को एसटी का दर्जा देने के मणिपुर हाईकोर्ट के 27 मार्च के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में भाजपा विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई के समक्ष एक अन्य याचिका भी दायर की गई है.
मणिपुर ट्राइबल फोरम की ओर से दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में आदिवासी समुदायों पर हमलों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो राज्य के साथ-साथ केंद्र में भी सत्ता में है।
याचिकाए दायर होने के बीच केन्द्र सरकार ने संघर्षरत गुटो से बातचीन करने की बात कही है. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने संघर्षरत समूहों से बातचीत के लिए आगे आने की अपील की है.
रविवार को जी किशन रेड्डी ने कहा कि ‘कृपया मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए आगे आएं. सरकार बातचीत के लिए तैयार है. आपने किसानों के मुद्दे को देखा है. जब यह शांतिपूर्ण था, तो हमने उन्हें समझाने की कोशिश की. मुद्दा हल नहीं होने पर हम उनकी मांग पर सहमत हुए और वे बिल (तीन कृषि कानून) वापस ले लिए गए. इसलिए, सरकार कठोर नहीं है.’
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती समुदाय और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं. लगातार हुई हिंसा में रविवार तक 52 से अधिक लोगों की जान चली गई. हिंसा प्रभावित इलाकों से बचाकर 23,000 लोगों को सैनिक शिविरों में ले जाया गया. हालात पर काबू में रखने के लिए सेना और असम राइफल्स के जवानों को हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात है.
याचिकाओं में मणीपुर हिंसा के लिए पूर्णतया भाजपा को जिम्मेदार बताया गया है याचिका में कहा गया है कि "इन हमलों को राज्य के साथ-साथ केंद्र में सत्ता में पार्टी (इंडियन पीपुल्स पार्टी, बीजेपी) का पूर्ण समर्थन प्राप्त था, जो प्रमुख समूह का समर्थन करता है और एक गैर-धर्मनिरपेक्ष एजेंडे के कारण हमलों की योजना बनाई है.
जनहित याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि प्रभावशाली समुदाय द्वारा 30 आदिवासियों की हत्या कर दी गई और 132 घायल हो गए, लेकिन इनमें से किसी के संबंध में अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
याचिका में आरोप लगाया है कि हत्याओं के मामले में ना तो पुलिस एफआईआर दर्ज की गयी है और पुलिस जानबुझकर चुपचाप देखती रही है.
याचिका में असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरेकृष्ण डेका की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल गठित करने और मेघालय राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष, मुख्य न्यायाधीश तिनलियानथांग वैफेई की मोनिटंरिग कराने की मांग की गयी है.