Juvenile Justice Board: महाराष्ट्र सरकार ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो मेंबर्स के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के इन दो सदस्यों के खिलाफ 'पुणे पोर्श केस में नाबालिग आरोपी को 300 शब्दों की निबंध और काउंसिलिंग लेने की शर्तों पर पंद्रह घंटे के अंदर ही जमानत देने के चलते' शो-कॉज नोटिस जारी किया है. महाराष्ट्र सरकार ने दोनों सदस्यों की काम-काज की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी. अब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जारी कर सदस्यों के कामों में गड़बड़ियां मिलने की बात कही है. रिपोर्ट सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने दोनों सदस्यों के खिलाफ शो-कॉज नोटिस जारी किया है.
जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद महिला व बाल विकास विभाग के कमिश्नर प्रशांत नरणावरे ने दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.
सबसे पहले, आरोपी को जमानत देने वाली जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में तीन सदस्य थे. एक न्यायपालिका से, तो दो राज्य की ओर से. महाराष्ट्र ने राज्य की ओर से मौजूद दोनों सदस्यों के खिलाफ जांच के कमेटी गठित की थी.
जांच कमेटी की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि बोर्ड के एक सदस्य एलएन धनगड़े के पास उस दिन कोई सुनवाई नहीं थी. वे अपनी मर्जी से पुणे पोर्श केस की सुनवाई में शामिल हुए थे. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि फैसला सुनाते वक्त जुवेनाइल बोर्ड के अन्य सदस्य वहां मौजूद नहीं थे. ये जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों के विरूद्ध है.
18-19 मई की रात आरोपी ने अपनी पोर्श कार से एक मोटरसाइकिल में टक्कर मारी, जिससे बाइक सवार दोनों इंजीनियर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. आरोपी को गिरफ्तार कर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया गया. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 300 शब्दों में निबंध और काउंसिलिंग लेने की शर्तों के साथ जमानत दे दी. ये पूरी कार्रवाई घटना घटित होने के 15 घंटे हो गई. खबर प्रकाश में आई, तो मामले से जुड़े नाबालिग के दादा, पिता और मां को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
अब नाबालिग की चाची ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम से रिहा करने की मांग की है. इस मामले की सुनवाई 20 जून को होनी है.