नई दिल्ली: माफिया मुख्तार अंसारी को जेल में बंदी को मारने और जेलर को धमकाने के मामले में बड़ी राहत मिली है. मुख्तार अंसारी को लखनउ की एमपी एमएलए विशेष कोर्ट ने आरोपो से बरी कर दिया है.
23 साल पुराने इस केस में मंगलवार को फैसला सुनाते हुए एमपी एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी, लालजी यादव, कल्लू पंडित, युसूफ चिश्ती और आलम को सबूतों के अभाव में बरी कर किया है.
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा है.अदालत ने इस मामले में अंसारी के खिलाफ 28 मार्च 2022 को आरोप तय हुए थे.
विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एके श्रीवास्तव ने पाया कि अभियोजन पक्ष मुख्तार अंसारी और उनके चार सहयोगियों पर आरोप साबित करने में नाकाम रहा.
1 अप्रैल सन 2000 को थाना आलमबाग में जेलर एसएन द्विवेदी ने मामला दर्ज कराया था कि 29 मार्च 2000 को पेशी से लौटते समय बंदी चांद से मुख्तार अंसारी ने मारपीट की थी.चांद को बचाने के दौरान जेलर और डिप्टी जेलर को मुख्तार अंसारी ने धमकाते हुए उस पर पिस्टल ताना दी.
इसमें आगे आरोप लगाया गया कि जब जेलर और डिप्टी जेलर ने चांद को बचाने की कोशिश की तो आरोपियों ने अधिकारियों और मुख्य बंदी रक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर भी भी हमला किया. जब जेल का अलार्म बजाया गया तो आरोपी ईंट-पत्थर मारते हुए वापस अपने-अपने बैरक में लौट गए.