Advertisement

ED की छापेमारी वैध, Madras HC ने TASMAC और तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज की

तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि एक राजनीतिक दल के सत्ता में आने पर, प्रतिद्वंद्वी दल उसके खिलाफ कई आरोप लगा सकते हैं, लेकिन अदालत ऐसे आरोपों की जांच करने की स्थिति में नहीं है.

Written by Satyam Kumar |Updated : April 23, 2025 11:27 AM IST

आज मद्रास हाई कोर्ट ने ईडी छापों के खिलाफ टीएएसएमएसी और तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज करते हुए तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) के मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 6 से 8 मार्च तक की गई छापेमारी की वैधता को बरकरार रखा है. अदालत ने कहा कि ED को धन शोधन निरोधन अधिनियम (PMLA) के तहत अपनी जांच जारी रखने की छूट है. साथ ही अदालत ने राज्य और TASMAC के इस तर्क को खारिज कर दिया कि ED द्वारा की गई तलाशी राजनीति से प्रेरित थी और कहा कि वह ऐसे मुद्दों की जांच नहीं कर सकती.

कोर्टरूम आर्गुमेंट

TASMAC और तमिलनाडु सरकार की याचिका पर जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस के राजशेखर की खंडपीठ ने सुना. अदालत में याचिका में की गई मांगों पर गौर करते हुआ कहा कि ED को पीएमएलए (PMLA) के तहत जांच करने का अधिकार है और यह गलत नहीं है. इस पर याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ये रेड यानि की छापेमारी राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं. प्रत्युत्तर में अदालत ने कहा कि वह ऐसे मुद्दों की जांच करने के लिए नहीं हैं, राजनीतिक कारणों की जांच करना अदालतों का काम नहीं है.

अदालत ने कहा कि जब कोई एक राजनीतिक पार्टी सत्ता में आती है, तो विरोधी पार्टी उसके खिलाफ कई आरोप लगा सकती है. हालांकि, अदालत ऐसे आरोपों की जांच करने की स्थिति में नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत केवल अपने सामने रखी गई सामग्री और किए गए अपराध को देखता है, चाहे वह पार्टी A हो या B, और कानून लागू करके न्याय सुनिश्चित करता है. अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध राष्ट्र के खिलाफ अपराध है और कुछ असुविधाओं को छापेमारी रद्द करने का आधार नहीं बनाया जा सकता. यह हो सकता है कि ED के अधिकारी आपके यहां देर रात में छापेमारी करने पहुंचे हो लेकिन राष्ट्रहित में यह छोटी सी परेशानी ED की जांच पर रोक लगाने का आधार नहीं हो सकता है.

Also Read

More News

क्या है मामला?

ईडी ने मार्च में TASMAC के मुख्यालय पर छापे मारे थे. ED के अनुसार, यह छापेमारी शराब की कीमतों में हेराफेरी, निविदा में छेड़छाड़ और रिश्वतखोरी के आरोप लगाते हुए 1000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितताएं के दावों को लेकर की गई थी. तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने ईडी के अधिकारों के दुरुपयोग बताते हुए छापों को अवैध बताया.

तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने मद्रास हाई कोर्ट में ईडी के छापों की वैधता को चुनौती दी. उन्होंने ईडी पर TASMAC के कर्मचारियों को 60 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखने का भी आरोप लगाया. हाई कोर्ट ने शुरू में ईडी को आगे कोई कार्रवाई करने से रोक दिया था, लेकिन बाद में सुनवाई करने वाली पीठ बदल गई. मामला संक्षेप में सुप्रीम कोर्ट में भी गया, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने बाद में अपनी याचिका वापस ले लिया. वहीं छापे को लेकर ईडी ने दावा किया है कि छापे मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का पता लगाने के लिए आवश्यक थे और कर्मचारियों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया. दूसरी ओर, तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने ईडी पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने और कर्मचारियों को परेशान करने का आरोप लगाया है.