मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने तिरुवल्लूर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) को पुझल सेंट्रल जेल में विचाराधीन कैदी जयंतन पर कथित हमले की जांच करने का निर्देश दिया है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि जयंतन का बयान जेल अधिकारियों की मौजूदगी के बिना लिया जाना चाहिए. उसकी चोटों को लेकर चिंता जताई गई और अदालत ने आरोपों के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए 17 दिसंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है.
मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस एम जोतिरमण ने विचाराधीन कैदी की मां आनंदी की याचिका पर हाल ही में सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि विचाराधीन कैदी का बयान जेल अधीक्षक या किसी भी अन्य जेल अधिकारी की मौजूदगी में नहीं लेना है. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि कैदी की मां को 17 अक्टूबर, 2024 को एक वकील ने बताया कि उनके बेटे/कैदी जयंतन की 16 अक्टूबर को पुलिस अधिकारी प्रशांत पांडियन ने पिटाई की और वह गंभीर रूप से घायल हो गया. सूचना देने वाले वकील ने याचिकाकर्ता को बताया कि उनका बेटा बेहोश था और उसे इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाया गया.
पीठ ने बताया कि अतिरिक्त सरकारी वकील का कहना था कि जेल अधीक्षक ने कैदी को इलाज कराने की अनुमति दी है और उसे इलाज मुहैया कराया जा रहा है. पीठ ने कहा कि हमें याचिकाकर्ता की ओर से उठाए गए तर्क में कुछ दम नजर आया.
इसी के साथ पीठ ने याचिका में लगाए गए आरोपों के पीछे की सच्चाई का पता लगाने के लिए उपरोक्त निर्देश दिए. पीठ ने कहा कि प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी जेल अधिकारी की उपस्थिति के बिना जांच कर पायें, इस सिलसिले में सभी इंतजाम किये जाएं.
पीठ के अनुसार याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उनकी मुवक्किल 18 अक्टूबर को तत्काल अपने बेटे से मिलने गयीं और वह अपने बेटे के चेहरे पर, उसकी दाहिनी आंख के ऊपर जख्म देखकर स्तब्ध रह गयीं. जब याचिकाकर्ता ने अपने बेटे से इस जख्म के बारे में पूछा तो वह परेशान हो गया और उसने कुछ नहीं बताया. पीठ के मुताबिक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उस वक्त एक पुलिस अधिकारी कैदी के पास खड़ा था. याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि जब याचिकाकर्ता अपने बेटे को इलाज उपलब्ध कराने के वास्ते पुलिस अधीक्षक से मिलने गयीं तब उन्हें जेल अधीक्षक से नहीं मिलने दिया गया तथा उन्हें बस फोन पर जेलर से बात करने की अनुमति दी गयी.
याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि ‘जेलर’ ने उनकी मुवक्किल से इलाज के वास्ते कैदी का मेडिकल रिकार्ड लाने को कहा. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील का यह भी कहना है कि चेन्नई के सरकारी स्टैनली चिकित्सा महाविद्यालय के ‘रेडियोगायनोसिस एंड इमेजिंग’ विभाग से जारी मेडिकल रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि एक माह पहले ‘रॉड’ से चोट लगी. ऐसे में कैदी के जख्म को देखते हुए संदेह पैदा होता है.