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अगर मंत्री के पोंमुडी के खिलाफ पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी: Madras HC

मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को चेतावनी दी कि अगर डीएमके नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो अदालत स्वतः ही अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी.

Written by Satyam Kumar |Published : April 18, 2025 12:44 PM IST

मद्रास हाई कोर्ट ने सांप्रदायिक और महिला विरोधी कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए तमिलनाडु के मंत्री के पोंमुडी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने यह निर्देश उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आया, जिसमें पोनमुडी के कथित आपत्तिजनक भाषण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी. असल में मद्रास हाई कोर्ट, पोंमुडी के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति (Disproportionate wealth case)  मामले की सुनवाई कर रही थी. इस दौरान मंत्री द्वारा दिए गए विवादित बयान को लेकर कार्रवाई की मांग से जुड़ी याचिका लाई गई. बता दें कि पोनमुडी ने शैव और वैष्णव धर्म के संदर्भ में एक सार्वजनिक सभा में एक यौनकर्मियों से संबंधित विवादास्पद टिप्पणी की है.

मंत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश

मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया है कि वह मंत्री के. पोन्नूडी के खिलाफ एक प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करे. जस्टिस एन वेंकटेश ने मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस को बिना देरी के एफआईआर दर्ज करने और 23 अप्रैल तक अदालत में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. पुलिस द्वारा अदालत के निर्देशों के अनुसार कार्यवाही शुरू की है.  हाई कोर्ट ने पुलिस को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने पोनमुडी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की, तो अदालत स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी. अदालत ने पुलिस से पांच शिकायतें मिलने के बाद भी एफआईआर दर्ज न करने पर चिंता व्यक्त की और एक एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया

इससे पहले दिन में, जस्टिस ने महाधिवक्ता से डीजीपी से निर्देश प्राप्त करने को कहा कि क्या पोनमुडी के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज की गई है और मामले को आज शाम के लिए स्थगित कर दिया. जब शाम को मामले की सुनवाई हुई,

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तो जस्टिस ने एजी से पूछा

एफआईआर कहां है? क्या यह न्यायालय मान सकता है कि एफआईआर दर्ज हो गई है। महाधिवक्ता पीएस रमन ने कहा कि पुलिस को पांच शिकायतें मिली हैं और वे जांच करेंगे और एफआईआर दर्ज करेंगे.

जस्टिस ने कहा,

"अगर वे एफआईआर दर्ज नहीं करते हैं, तो मैं स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना का मामला दर्ज करूंगा. अब, अदालत ने मामले का संज्ञान ले लिया है, भले ही उनके पास कोई शिकायत न हो, मामला दर्ज करें और जांच आगे बढ़ाएं."

जज ने कहा कि नुकसान पहुंचाने वाला वीडियो जारी है, हमें नहीं पता कि यह कब भड़क जाए. अदालत ने आगे कहा कि पुलिस को कई एफआईआर दर्ज करने की जरूरत नहीं है और एक एफआईआर ही काफी है. अदालत ने कहा कि इस स्थिति में पोनमुडी को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी.

बयान को लेकर AIDMK का विरोध

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विवाद के बाद पोंमुडी को पार्टी के उप महासचिव पद से हटा दिया और बाद में उन्होंने अपनी 'अनुचित टिप्पणियों' के लिए माफी मांगी. इससे पहले, एआईएडीएमके की महिला कार्यकर्ताओं ने बुधवार को राज्य मंत्री के. पोन्नूडी के खिलाफ महिलाओं और हिंदू धर्म के कुछ संप्रदायों के प्रति अपमानजनक और अश्लील बयानों के खिलाफ प्रदर्शन किया. एआईएडीएमके महिला विंग की उप सचिव गायत्री रघुराम ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि पोन्नूडी बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं और उनकी मंत्री पद से हटाने की मांग की. गायत्री रघुराम ने कहा कि के. पोन्नूडी बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं. उनकी माफी भी आदतन है. यह डीएमके का डीएनए है. हमने देखा है कि जब अम्मा मुख्यमंत्री बनीं, तो उन्होंने उनके साथ कैसे व्यवहार किया. उन्हें पद से हटाना केवल दिखावा है, कोई वास्तविक कार्रवाई नहीं की गई है, उन्हें मंत्री पद से हटाना चाहिए. एआईएडीएमके की प्रवक्ता अप्सरा रेड्डी ने पोन्नूडी के बयानों को भारत की राजनीति का सबसे निम्नतम स्तर बताया, यह सवाल उठाते हुए कि तमिलनाडु के लोग ऐसे मंत्री को क्यों सहन करें.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)