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बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते Madras HC ने राज्य को दिया सरकारी कर्मचारियों की अवैध कमाई को जब्त करने का निर्देश

मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य सरकार को एक नया निर्देश दिया है। बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए अदालत ने राज्य से कहा है कि वो सरकारी कर्मचारियों की अवैध कमाई को जब्त किया जाए। जानें पूरी बात...

Madras HC Orders Govt to Take Ill Grown Wealth of Govt Officials

Written by Ananya Srivastava |Published : July 15, 2023 2:24 PM IST

नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों के ऐसेट्स को वेरफाइ करें, खासकर पुलिस अधिकारियों की। अदालत ने राज्य से कहा है कि वो सरकारी कर्मचारियों कि संपत्ति का वेरीफिकेशन करें और फिर उनकी अवैध संपत्ति को जितनी जल्दी हो सके, जब्त कर लें।

अदालत का यह अवलोकन भी था कि देश ब्रशतचर के दलदल में गिरता चला जा रहा है और भ्रष्ट कर्मचारियों में भारतीय प्रसासनिक सेवा (Indian Administrative Service) और भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) के अधिकारी भी शामिल हैं।

मद्रास उच्च न्यायालय ने पास किया यह ऑर्डर

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस एम सुब्रमणियम (Justice SM Subramaniam) ने 12 जुलाई को यह ऑर्डर दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि देश में भ्रस्टाचार की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं और उनपर कोई सख्त रूप से ध्यान नहीं दे रहा है। अदालत को ऐसा लगता है कि आज के समय में, भारत में हर स्तर पर भ्रष्टाचार है, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), पुलिस सेवा (IPS) और न्यायिक सेवा (Judicial Services) भी इससे वंचित नहीं है।

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गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश

जस्टिस सुब्रमणियम ने राज्य के गृह सचिव (State Home Secretary) और पुलिस महानिदेशक (Director General of Police) को तमिलनाडु अधीनस्थ पुलिस अधिकारी आचरण नियमों के नियम 9 के तहत राज्य भर में समय-समय पर पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई अनिवार्य घोषणा को सत्यापित करने का भी निर्देश दिया।

न्यायालय ने राज्य अधिकारियों को ऐसी घोषणाओं की वास्तविकता को सत्यापित करने का आदेश दिया, जिसमें परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और उनके परिचित व्यक्तियों के नाम पर खरीदी गई संपत्ति भी शामिल है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उच्च न्यायालय एक सरकारी कर्मचार एम राजेन्द्रन की याचिका की सुनवाई कर रहे थे जिनके खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति होने का इल्जाम लगाया गया था।