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भोपाल गैस त्रासदी के अवशेषों के निपटारे के परीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इंकार, नाखुश पक्ष को राहत के लिए HC जाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मध्य प्रदेश के पीथमपुर में खतरनाक अपशिष्ट के निपटान संबंधी आज के परीक्षण पर रोक लगाने से इनकार किया है.

Supreme Court, Bhopal Gas Tragedy

Written by Satyam Kumar |Published : February 27, 2025 11:35 AM IST

आज सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मध्य प्रदेश के पीथमपुर में खतरनाक अपशिष्ट के निपटान संबंधी आज के परीक्षण पर रोक लगाने से इनकार किया है. कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओ से कहा कि वो हाई कोर्ट में जाकर अपनी बात रख सकते है, वहीं हाई कोर्ट में ये मामला पहले से ही पेंडिंग है. पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार से भोपाल गैस त्रासदी के अवशिष्टों को निपटारे को लेकर किए जा रहे उपायों बताने को कहा था. केन्द्र की ओर उचित जबाव मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य आधार पर भोपाल गैस त्रासदी के अवशेषों के निपटारे पर रोक लगाने से इंकार किया है. इंदौर के रहने वाले चिन्मय मिश्रा नाम के याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि मामले में पीथमपुर के लोगों से सलाह नहीं ली गई है. कचरे को नष्ट करने से पीथमपुर में रेडिएशन का खतरा हो सकता है. अगर रेडिएशन फैलता है, तो उससे प्रभावित लोगों की चिकित्सा की सुविधा भी उस इलाके में नहीं है.

भोपाल गैस त्रासदी के अवशेषों का निपटारा

जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट और विशेषज्ञ पैनल ने किसी असंभवना को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह को ध्यान में रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान (NGRI) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के विशेषज्ञों की राय पर हाई कोर्ट ने गंभीरता से विचार किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 377 टन खतरनाक कचरा, जो कि अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकला है, को पिथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है. यह स्थान भोपाल से लगभग 250 किलोमीटर और इंदौर से 30 किलोमीटर दूर है. इस कचरे का निपटान एक संयंत्र में किया जाएगा, जो कि पर्यावरण के लिहाज सुरक्षित है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो पक्ष इस निर्णय से असंतुष्ट हैं, वे उच्च न्यायालय से संपर्क कर सकते हैं.

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भोपाल गैस त्रासदी की घटना

1984 में, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था, जिससे 5,479 लोगों की मृत्यु हुई और 500,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए. यह घटना दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक आपदाओं में से एक मानी जाती है. इस त्रासदी ने न केवल मानव जीवन को प्रभावित किया बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है. अब मध्य प्रदेश सरकार इस त्रासदी के बचे अवशेषों के डंप करने जा रही है, जिसका विरोध स्थानीय लोग स्वास्थ्य कारणों से कर रहे हैं.