नई दिल्ली: Madhya Pradesh High Court की जबलपुर बेंच ने अदालत के आदेश के बावजूद एक मामले में जवाब पेश नही करने पर जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है.
देश में कृषि के विकास के लिए उच्च स्तरीय शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र के रूप में विख्यात जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1964 में की गयी थी और यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान है.
Justice Vivek Agarwal की एकलपीठ ने यह आदेश बार-बार मोहलत देने के बावजूद जवाब पेश नहीं करने लगाया है.
Madhya Pradesh High Court ने विश्वविद्यालय प्रशासन को यह जुर्माने की राशि दोषी अधिकारी यानी OIC से वसूल कर हाईकोर्ट Legal Service कमेटी में जमा कराने के निर्देश दिए हैं.
हाईकोर्ट ने जुर्माने की राशि जमा करने की शर्त पर विश्वविद्यालय को जवाब पेश करने का अंतिम अवसर दिया है.
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी आरके तिवारी विश्वविद्यालय में उपयंत्री के पद पर पदस्थ था, जिसे प्रशासन ने सेवानिवृति आयु 62 वर्ष की जगह 60 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त कर दिया था.
विश्वविद्यालय प्रशासन के इस आदेश को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट याचिका दायर कर चुनौती दी. सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने याचिकाकर्ता को सेवानिवृत करने में अपनी गलती स्वीकार कर नियमानुसार आदेश पारित कर दिया.
अदालत में अपनी गलती स्वीकार करने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने याचिकाकर्ता के दो वर्ष का वेतन और पेंशन का पुर्ननिर्धारण किया, जिससे याचिकाकर्ता ने असंतुष्टि जताते हुए पुर्न हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
याचिकाकर्ता के जरिए हाईकोर्ट ने याचिका में दो वर्ष के वेतन व पेंशन का पुनर्निधारण करने का अनुरोध किया.
इस मामले में हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया, लेकिन बार बार आदेश के बावजूद विश्वविद्यालय के कुलपति, कृषि यांत्रिकी महाविद्यालय के डीन और विश्वविद्यालय के Executive Engineer की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ.
विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैये से नाराज हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी अधिकारी पर 10 हजार का जुर्माना लगाने के आदेश दिए.