आज यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते राज्य सरकार ने ये कानून पास किया था. सुप्रीम कोर्ट अपील याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को इस एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए आदेश दिया था कि सभी मदरसा छात्रों का दाखिला राज्य सरकार सामान्य स्कूलों में करवाए. हालांकि, 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इसी बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी लिखित दलीलों में मदरसा शिक्षा को बच्चों के हित के खिलाफ बताया है.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मदरसा कानून को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया केएम नटराजन ने यूपी सरकार का पक्ष रखा.
यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार किया है और उसके खिलाफ कोई अर्जी दाखिल न करने का फैसला लिया है. हालांकि जहां तक मदरसा एक्ट की वैधता का सवाल है, हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक्ट के समर्थन में दलील रखी थी.आज भी मदरसा एक्ट को लेकर हमारा रुख वही है. हमारा कहना है कि मदरसा एक्ट को पूरी तरह रद्द करने का फैसला ठीक नहीं है. इसके सिर्फ उन प्रावधानों की समीक्षा हो सकती है, जो मूल अधिकारों के खिलाफ जाते है. एक्ट में ज़रूरी बदलाव किए जा सकते है,पर इसे पूरी तरह रद्द करना ठीक नहीं था.
अदालत ने सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा है.