नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कहा है कि सुनवाई अदालत किसी विदेशी नागरिक को जमानत देते समय उसे निरूद्ध केंद्र (Detention Center) नहीं भेज सकती है। हाईकोर्ट के इस आदेश के पीछे का कारण क्या है और मुद्दा क्या था, आइए सबकुछ जानते हैं.
कोर्ट के अनुसार, निचली अदालत एक विदेशी नागरिक को जमानत देते समय निचली अदालत में नहीं भेज सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय का ऐसा मानना है कि ये केंद्र न्यायिक हिरासत के लिए नहीं हैं बल्कि विदेशी कानून के संदर्भ में कार्यकारी आदेश के आधार पर विदेशी नागरिकों को रखने के लिए है।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल (Justice Anish Dayal) ने एक नाइजीरियाई नागरिक की याचिका पर यह आदेश दिया। दिल्ली आबकारी कानून (The Delhi Excise Act, 2009) और विदेशी कानून (The Foreigners Act, 1946) के तहत दायर एक आपराधिक मामले में नाइजीरियाई नागरिक को अप्रैल 2021 में जमानत दिए जाने के बावजूद, एक मजिस्ट्रेट अदालत ने निरूद्ध केंद्र भेज दिया था क्योंकि उसके वीजा की अवधि समाप्त हो गयी थी।
इसके बाद, एक सत्र अदालत ने कुछ शर्तों के साथ उसे निरूद्ध केंद्र से रिहा करने का निर्देश दिया, लेकिन याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि उसे अभी तक रिहा नहीं किया गया है।
अदालत ने कहा कि एक बार जमानत पर रिहा कर दिए जाने के बाद, याचिकाकर्ता को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना हिरासत में नहीं लिया जा सकता, जब तक कि वह दोषी साबित नहीं हो जाता।
इसके साथ ही अदालत ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता पहले ही दो साल से वास्तविक हिरासत में है, जबकि आबकारी कानून के तहत अधिकतम सजा तीन साल और विदेशी कानून के तहत पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है। अदालत ने याचिकाकर्ता को एक-एक लाख रुपये के व्यक्तिगत मुचलके (Bond) और इतनी ही जमानत राशि पर निरूद्ध केंद्र से रिहा करने का निर्देश दिया।