नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने आधार के साथ चल और अचल संपत्ति के दस्तावेजों को जोड़ने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने देश में भ्रष्टाचार, काला धन और बेनामी लेनदेन पर अंकुश लगाने के लिए संपत्ति को आधार से जोड़ने का अनुरोध करते हुए जनहित याचिका दायर की है.
दिल्ली हाईकोर्ट उपाध्याय द्वारा वर्ष 2019 में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है, सितंबर 2022 में हाईकेार्ट ने उपाध्याय को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद याचिका में पक्षकारों के रूप में सरकार के अलग अलग विभागों को शामिल किया था.
दायर याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि आधार को संपत्ति के दस्तावेजों से जोड़ने से देश में भ्रष्टाचार, काला धन और बेनामी लेनदेन पर अंकुश लगेगा.
याचिका में कहा गया कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने और बेनामी संपत्तियों को जब्त करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए बाध्य है.
याचिका में कहा कि चल-अचल संपत्तियों को मालिक के आधार नंबर से जोड़ना इस खतरे को रोकने का एक जवाब हो सकता है. याचिका में कहा गया है कि काले धन धारकों को अपनी चल और अचल संपत्तियों की घोषणा करने के लिए मजबूर किया जाएगा और बेनामी संपत्ति की इतनी राशि को फिर से उत्पन्न करने में कई साल लगेंगे.
याचिका में दावा किया गया है कि आधार को संपंति से जोड़ने पर यह लंबे समय तक काले धन के सृजन को समाप्त करने में मदद करेगा. और अगर सरकार ने संपत्ति के दस्तावेजों को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया, तो इससे वार्षिक वृद्धि में 2% की वृद्धि होगी.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सतीश चन्द्र शर्मा और जस्टिस यशवंत शर्मा की पीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई के बाद केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है.
दिल्ली हाईकोर्ट अब इस याचिका पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद 18 जुलाई 2023 को सुनवाई करेगा.