नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति करने का अधिकार किसे है, दिल्ली सरकार या उपराज्यपाल को? सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले में अपना फैसला सुना चुकी है. पिछले 15 महीने से उलझी इस पहेली का आज सुप्रीम कोर्ट ने सुलझा दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में कहा कि उपराज्यपाल को एल्डरमैन की नियुक्ति करने का अधिकार है, उन्हें ऐसा करने के लिए दिल्ली सरकार की सहमति की जरूरत नहीं है. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में ये भी बताया कि उपराज्य को एल्डरमैन नियुक्ति करने का अधिकार नगर निगम अधिनियम, 1993 से मिली है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले दिल्ली सरकार को बड़ा झटका लगा है, जो पहले से ही उपराज्यपाल पर सरकार के प्रशासन में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा रही थी.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की तीन जजों वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
अदालत ने कहा,
"यह 1993 का दिल्ली नगर निगम अधिनियम था जिसने पहली बार एलजी को मनोनीत करने की शक्ति प्रदान की. एलजी पर कानून द्वारा व्यक्त की गई शक्ति उन वैधानिक योजनाओं को दर्शाती है जिसके तहत शक्तियां वितरित की जाती है. दिल्ली एलजी से अपेक्षा की जाती है कि वे कानून के अनुसार काम करें, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार."
दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1993 (DMC Act, 19993) दिल्ली के राज्यपाल को दस एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार देती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीएमसी अधिनियम की धारा 3(3)बी(i) के तहत उपराज्यपाल (LG) एमसीडी में दस (विशेष ज्ञान वाले) लोगों को नामित कर सकते हैं. इसमें पीठ ये विचार कर रही थी कि क्या उपराज्यपाल सरकार के कैबिनेट या मंत्रीपरिषद की सलाह से बंधे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि डीएमसी अधिनियम के तहत उपराज्यपाल को दस एल्डरमैन नियुक्त करने की शक्ति वैधानिक तौर पर मिली है, साथ ही इसके लिए उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के सहमति की आवश्यकता नहीं है.
साथ ही राज्यपाल को कानून के अनुसार काम करने की शक्ति का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 239 में भी आता है जो राष्ट्रपति को केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रशासन करने का अधिकार देता है. सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल द्वारा दस एल्डरमैन नियुक्त करने के फैसले को सही ठहराया है.
शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई 15 महीने पहले से ही अपना फैसला सुरक्षित रखा था. बता दें कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच एमसीडी में एल्डरमैन नियुक्ति करने के अधिकार को लेकर विवाद छिड़ा था. विवाद और भी बढ़ा जब दिल्ली सरकार ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने दस एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद), बिना कैबिनेट की अनुमति के, नियुक्ति कर दी. दिल्ली सरकार 'उपराज्यपाल के इसी फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गई थी.