मोटर वाहन दुर्घटना दावे का निपटान करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 17 साल बाद एक लड़की को देय मुआवजा 22 लाख रुपये तक बढ़ा दिया है. अदालत ने कहा कि दुर्घटना के चलते शत-प्रतिशत दिव्यांग होने से लड़की के विवाह की संभावना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. बता दें कि ये मोटर दुर्घटना 2005 में हुई थी, जब लड़की चीनू केवल दो साल की थी और वह 100 प्रतिशत दिव्यांग हो गई. मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal) ने पहले मुआवजे की राशि का आकलन 2,17,715 रुपये किया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे बढ़ाने का निर्णय लिया है.
जस्टिस विपिन चंद्रा ने 17 साल पुराने एक मामले की सुनवाई करते हुए मुआवजे की राशि 1,08,875 रुपये से बढ़ाकर 23,69,971 रुपये करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि दुर्घटना के समय नाबालिग रही कुमारी चीनू के विवाह की संभावना को बेहद नुकसान पहुंचा और वह निराश तथा हताश हो गई. विवाह की संभावना के नुकसान के लिए अदालत ने तीन लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया.
अदालत ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण यह विचार करने में विफल रहा कि 100 प्रतिशत दिव्यांग होने के कारण दावाकर्ता के विवाह की संभावना को काफी नुकसान पहुंचा और मामले में उसे मुआवजा देने के लिए कुछ नहीं किया गया.
आदेश में आगे कहा गया कि दावा अधिकरण ने कमाने की क्षमता 75 प्रतिशत घटने के बारे में विचार करने में भी गलती की क्योंकि दावाकर्ता द्वारा अधिकरण के समक्ष पेश साक्ष्य के मुताबिक, वह 100 प्रतिशत दिव्यांग हो गई है.
ये मामला 2005 में हुई दुर्घटना से जु़ड़ी है,जब चीनू (पीड़ित छात्रा) दो साल की थी. वह अपने परिवार के साथ एक वैन में यात्रा कर रही थी, जिसे एक तेज़ रफ़्तार ट्रक ने टक्कर मार दी. इस दुर्घटना में चीनू 75 प्रतिशत तक स्थायी रूप से दिव्यांग हो गई थी. इस हादसे को लेकर उसकी मां ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में 36,05,000 रुपये के मुआवजे का दावा किया.
अधिकरण ने अपने आठ अगस्त 2007 के आदेश में उस दुर्घटना के लिए दोनों वाहनों के चालकों को जिम्मेदार ठहराया था क्योंकि वैन के चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था. कुल मुआवजे की राशि का आकलन 2,17,715 रुपये किया गया. हालांकि, 50 प्रतिशत कटौती के बाद ट्रक के बीमाकर्ता को 1,08,875 रुपये मुआजवा के भुगतान का आदेश दिया गया था. मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के इसी आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.