नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ (Lucknow Bench) ने एक महिला जज के साथ वकीलों द्वारा दुर्व्यवहार हेतु दायर याचिका पर निर्देश दिया है। पीठ ने सीसीटीवी फुटेज के फोरेंसिक परीक्षण की मांग की है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये मामला बाराबंकी की एक महिला जज ने दर्ज किया था और इसकी सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ की न्यायाधीश संगीता चंद्रा (Justice Sangeeta Chandra) और न्यायाधीश नरेंद्र कुमार जौहरी (Justice Narendra Kumar Johari) की पीठ ने की है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय को है यह शक!
बता दें कि जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की पीठ को ऐसा लगता है कि इस मामले में सीसीटीवी फुटेज के साथ छेड़खानी की गई है। इस फुटेज से जुड़ी कई अस्पष्ट और संदिग्ध स्थितियां सामने आई हैं जिनकी वजह से अदालत ऐसा सोचने पर मजबूर हुई है।
अदालत ने दिया ये निर्देश
इसी के चलते अदालत ने सीनियर रेजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि वो बाराबंकी के एडिश्नल डिस्ट्रिक्ट जज-1 द्वारा भेजी गई सीसीटीवी फुटेज को लखनऊ की फोरेंसिक लैबोरेटरी में भेजें और उस लैबोरेटरी के अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि वो इसका परीक्षण करें और इस बात पर खास ध्यान दें कि इसका कोई भाग डिलीट न किया गया हो, इसके साथ छेड़छाड़ न हुई हो।
कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख पर इस परीक्षण की रिपोर्ट भी मांगी है। बता दें कि अगली सुनवाई 4 अगस्त, 2023 को होगी।
क्या था पूरा मामला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल सिविल जज अर्पिता साहू ने, जो बाराबंकी के राम सनेही घाट में पोस्टेड थीं, 'Contempt of Courts Act, 1971' की धारा 15(2) के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामला रेफर किया था।
अपनी शिकायत में जज साहू ने डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के दो वकीलों- रितेश मिश्रा और मोहन सिंह को उनके साथ अनुचित भाषा का प्रयोग करने हेतु जिम्मेदार ठहराया था। अपनी शिकायत में सिविल जज ने यह भी कहा था कि उन वकीलों के एक्शन्स ने अदालत की अदालत के अधिकार को कमजोर कर दिया और न्यायिक कार्यवाही को बाधित भी किया।