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कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए कानून मंत्री ने CJI को लिखा पत्र

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने के लिए कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने सीजेआई (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) को लिखा पत्र.

Written by My Lord Team |Published : January 16, 2023 1:33 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने सीजेआई (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) को पत्र लिखकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए बने कॉलेजियम में  सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है. रिजिजू ने अपने पत्र में कहा कि पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही को बढ़ाने के लिए ये जरूरी कदम है. कानून मंत्री ने कहा है कि 'वह न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं, और उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को फिर से शुरू करने की भी वकालत की है जिसे 2015 में शीर्ष अदालत द्वारा असंवैधानिक घोषित किया गया था.'

रिजिजू के अनुसार, 'न्यायाधीशों को चुनने में सरकार द्वारा निभाई गई भूमिका महत्वपूर्ण थी, क्योंकि स्वयं न्यायाधीशों के पास रिपोर्ट और अन्य जानकारी तक पहुंच नहीं होती है, जो सरकार करती है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने से पहले उन्होंने उचित परिश्रम नहीं किया तो वह अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक जाएंगे.'

रिजिजू ने यह भी कहा है कि 'केंद्र पर कॉलेजियम द्वारा की गई 'सिफारिशों पर बैठने' का आरोप नहीं लगाया जा सकता है और यह कि न्यायाधीशों का निकाय सरकार से उसके द्वारा की गई सभी सिफारिशों पर आसानी से हस्ताक्षर करने की उम्मीद नहीं कर सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति

सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट पहले आपत्ति व्यक्त कर चूका है.  जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अभय एस ओका की खंडपीठ के अनुसार, "सरकार कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों पर अपनी आपत्तियों को व्यक्त कर सकती है, लेकिन यह बिना किसी आरक्षण के नामों को वापस नहीं ले सकती."

नवंबर 2022, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने इस विवाद पर कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था शत प्रतिशत परिपूर्ण नहीं होती है, और न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली कॉलेजियम प्रणाली को अलग नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान को लागू करते हैं.

देश की ऊपरी अदालतों में जजों की मौजूदा चयन प्रक्रिया पर अपारदर्शिता के लगातार लगने वाले आरोपों के बीच केंद्र कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के बारे में करीब डेढ़ महीने पहले ही सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था.