मऊ के विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिली. हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी को सबूतों को प्रभावित करने में सक्षम एवं फैमिली बैकग्राउंड को देखते हुए राहत देने से मना किया. अब्बास ने जमानत की मांग जेल में पत्नी से गैरकानूनी तरीके से मिलने के मामले में किया था. इस केस में पत्नी को कोर्ट ने पहले ही जमानत दी थी जिसके आधार पर एमएमलए अब्बास अंसारी ने भी जमानत की मांग की.
जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने एमएमलए अब्बास अंसारी की जमानत याचिका को सुना. बेंच ने पाया कि केस में चश्मदीद गवाह और पुलिस अधिकारियों के बयान अभी दर्ज नहीं हुए है. बेंच ने आरोपी को सबूतों को प्रभावित करने में समक्ष पाते जमानत याचिका खारिज कर दी है.
बेंच ने कहा,
"आवेदक और उसके परिवार के बैकग्राउंड और प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए, आरोप पूरी तरह से तथ्यहीन नहीं हो सकते हैं."
बेंच ने जेल में पत्नी व ड्राइवर से बेधड़क मिलने पर सवाल उठाया कि अगर जेल अधिकारी उसे इस तरह की गैरकानूनी इजाजत देते हैं तो इससे अंदाजा लगाना आसान होगा कि आरोपी कितना शक्तिशाली है. वह केस से जुड़े गवाहों को प्रभावित करने में पूरी तरह से सक्षम है.
बेंच ने एमएलए अंसारी को समझाया कि उन्हें अपना आचरण ऐसा रखना चाहिए जिससे लोगों का कानून में विश्वास बढ़ना चाहिए.
बेंच ने कहा,
"ये उचित नहीं है कि लॉ मेकर ही लॉ ब्रेकर की तरह काम करें."
हालांकि, हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट को निर्दश दिया कि वे लगातार सुनवाई कर चश्मदीद गवाहों के बयान की जांच कर लें .
पिछले साल, अब्बास अंसारी को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया. पुलिस ने कहा कि जेल में अब्बास अपनी पत्नी व ड्राइवर से गैरकानूनी तरीके, बिना किसी परमिशन के मिलते रहे.
इस मामले में अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता एक महिला है और वह एक साल के बच्चे की मां है. अब्बास ने पत्नी की जमानत को आधार बनाकर इस मामले में राहत की मांग जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.