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जिला अदालतों को AI की हेल्प लेने पर रोक, केरल हाई कोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेजीलेंस को लेकर बनाई नीति

केरल हाई कोर्ट ने जिला न्यायपालिका को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है क्योंकि एआई डिवाइस के प्रयोग के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जिनमें निजता के अधिकारों का हनन, डेटा सुरक्षा जोखिम और न्यायिक निर्णय लेने में त्रुटि शामिल है.

केरल हाई कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : July 21, 2025 11:07 AM IST

आर्टिफिशयल (AI) इंटेलीजेंस न्यायिक क्षेत्र के लिए कितना उपयोगी है, इस बात की चर्चा काफी लंबे समय से हो रही है.  न्यायिक क्षेत्र में इसका सही उपयोग कैसे हो, शीर्ष अदालतें इस पर भी विचार कर रही है. इस बीच केरल हाई कोर्ट ने AI को लेकर पहली बार नीति जारी किया है. केरल हाई कोर्ट ने AI के यूज पर रोक लगाया है. हाई कोर्ट ने जिला अदालतों से को निर्देश दिया है कि वे AI के उपयोग से दूर रहे.

केरल हाई कोर्ट ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक आर्टिफिशियल इंटेजीलेंस (AI) उपयोग नीति जारी की है, जिसके तहत जिला अदालतों को निर्णय लेने या कानूनी तर्क के लिए का AI उपयोग नहीं कर पाएगी. हाई कोर्ट ने ऐसे सॉफ्टवेयर उपकरणों की बढ़ती उपलब्धता और पहुंच को देखते हुए राज्य की जिला न्यायपालिका के न्यायिक कार्यों में एआई के जिम्मेदारीपूर्वक और सीमित उपयोग के लिए 'जिला न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरणों के उपयोग संबंधी नीति' जारी की है.

हाई कोर्ट के सूत्रों के अनुसार, यह अपनी तरह की पहली नीति है. हाई कोर्ट ने जिला न्यायपालिका को अत्यधिक सावधानी बरतने’की सलाह दी है क्योंकि एआई डिवाइस के अंधाधुंध उपयोग से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जिनमें निजता के अधिकारों का हनन, डेटा सुरक्षा जोखिम और न्यायिक निर्णय लेने में त्रुटि शामिल है.

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हाई कोर्ट द्वारा निर्देश में कहा गया कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एआई उपकरणों का उपयोग केवल जिम्मेदार तरीके से, पूरी तरह से सहायक उपकरण के रूप में और विशेष मामलों में ही किया जाए. नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी परिस्थिति में एआई उपकरणों का उपयोग निर्णय लेने या कानूनी तर्क-वितर्क के विकल्प के रूप में न किया जाए.

(खबर पीटीआई इनपुट के आधार पर है)