केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने सोमवार (19 फरवरी, 2024) के दिन 12 दोषियों की सजा बरकरार रखी है. ट्रायल कोर्ट ने पूर्व सीपीआई नेता टीपी चंद्रशेखरन (Former CPI Leader TP Chandrasekharan) की हत्या के 12 आरोपी को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई. इन 12 दोषियों ने सजा के फैसले को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने इन दोषियों को राहत नहीं दी, साथ ही पैरौल पर बाहर अन्य दो दोषियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. बता दें कि, नेता टीपी चंद्रशेखरन की हत्या क्षेत्र में बढ़ती राजनीतिक प्रभाव के कारण हुई. हत्या की साजिश में सीपीआई (एम) के नेता भी शामिल रहें जिन्हें इस मामले में दोषी पाया गया है.
जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस कौसर एडप्पागथ की पीठ (Bench) ने इस याचिका पर सुनवाई की. बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट ने आरोपियों की याचिका सुनवाई की. याचिका लंबित करने के दौरान एक दोषी की मृत्यु हो गई. वहीं, केस के दो अन्य दोषियों, केके कृष्णन और ज्योति बाबू के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी की. कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई में हाजिर करने को कहा है ताकि उनकी सजा पर सुनवाई हो सके. दोषी केके कृष्णन और ज्योति बाबू पर आईपीसी के सेक्शन 120बी (अपराधिक साजिश) के साथ सेक्शन 302 (मर्डर) के तहत दोषी पाया है. कोर्ट ने सभी, 26 दोषियों को अदालत के सामने पेश करने के आदेश दिये. मामले में अगली सुनवाई 26 फरवरी 2024 को होनी है.
साल 2012 में, कोझिकोड जिले (Kozhikode District) में ओंचियाम नामक जगह पर नेता टीपी चंद्रशेखरन की हत्या कर दी गई. जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि कुछ सीपीआई (एम) नेताओं ने चंद्रशेखरण की हत्या की साजिश रची. ये सीपीआई (एम) के नेता, टीपी चंद्रशेखरन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित थे. इस घटना में 36 लोगों को आरोपी बनाया गया.
ट्रायल कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने 36 में से 12 लोगों को दोषी पाया. दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. दोषियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए सभी दोषियों को अदालत के सामने पेश करने के निर्देश दिए.
मृत नेता सीपीआई नेता टीपी चंद्रशेखरन की पत्नी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इन आरोपियों का आजीवन कारावास की सजा को मृत्युदंड में बदलने की मांग की थी. वहीं, केरल राज्य ने भी मृत्युदंड की मांग की. राज्य ने कहा कि ट्रायल कोर्ट सुनियोजित तरीके से की गई हत्या की गंभीरता को ध्यान में नहीं रखा है.