2015 में त्रिपुरा बंद के दौरान जज पर हमला करने के मामले में माकपा के तीन नेताओं ने आत्मसमर्पण किया है. माकपा नेताओं ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उठाया है. त्रिपुरा की एक जिला एवं सत्र न्यायालय ने तीनों माकपा नेताओं को गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने, न्यायालय परिसर में अशांति फैलाने और न्यायिक अधिकारी पर हमला करने का दोषी ठहराते हुए दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 मार्च तय की है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार माकपा की दक्षिण त्रिपुरा जिला इकाई के सचिव तापस दत्ता, अखिल भारतीय कृषक सभा के बेलोनिया मंडल के सचिव बाबुल देबनाथ और त्रिलोकेश सिन्हा ने शनिवार को आत्मसमर्पण कर दिया. तीनों नेताओं ने दो सितंबर 2015 को वामपंथी ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए बंद को लागू करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश रूहिदास पॉल पर कथित रूप से हमला किया था. यह घटना उस समय की है, जब राज्य में वाम मोर्चा की सरकार थी. पुलिस ने घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए बेलोनिया पुलिस थाने में मामला दर्ज किया था.
मई 2023 में जिला एवं सत्र न्यायालय ने उन्हें गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने, न्यायालय परिसर में अशांति फैलाने और न्यायिक अधिकारी पर हमला करने का दोषी ठहराते हुए दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. उन्होंने उच्च न्यायालय में सजा के खिलाफ अपील की, जहां फैसला बरकरार रखा गया. इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने उन्हें आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.