नई दिल्ली: केरल हाईकोर्ट ने मलप्पुरम के तिरूर रेलवे स्टेशन पर 'वंदे भारत' ट्रेन सेवा को रोकने के लिए दक्षिण रेलवे को निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाया गया कि मलप्पुरम घनी आबादी वाला क्षेत्र है, यहां बड़ी संख्या में लोग यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, इसके बावजूद यहां के लिए स्टॉप आवंटित नहीं किया गया.
याचिका में यह भी कहा गया कि तिरूर में स्टॉप आवंटित करने का पूर्व में दिया गया प्रस्ताव बिना किसी विशेष कारण के फलीभूत नहीं हुआ.
इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस (Justice Bechu Kurian Thomas) और जस्टिस सी. जयचंद्रन (Justice C. Jayachandran) की बेंच ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में आरोप लगाया गया कि तिरूर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम जिले के लोगों के साथ अन्याय है. अदलात ने कहा कि वर्तमान में इसमें कोई जनहित नहीं है.
अदालत के अनुसार ट्रेन के लिए स्टॉप देना एक ऐसा मामला है जो रेलवे द्वारा निर्धारित किया जाता है. किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रुकना चाहिए ऐसी मांग करने का किसी भी व्यक्ति के पास निहित अधिकार नहीं है
अदालत ने आगे कहा कि, "याचिकाकर्ता की तरह अगर हर जिले में प्रत्येक व्यक्ति या जन उत्साही व्यक्ति अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन पर रोक लगाने की मांग करना शुरू कर देता है तो हाई स्पीड ट्रेनों को स्थापित करने का जो उद्देश्य है वो ही खत्म हो जाएगा."
"वंदे भारत ट्रेन जैसी हाई स्पीड एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए व्यक्तिगत या निहित स्वार्थों के आधार पर रेलवे स्टॉप उपलब्ध नहीं कराए जा सकते हैं. अगर ऐसा होता है यानि हाई स्पीट ट्रेनों का स्टॉप जनता के मांग पर प्रदान किए जाते हैं तो एक्सप्रेस ट्रेन शब्द अपने आप में मिथ्या नाम बन जाएगा."
अदालत ने यह भी कहा कि रेलवे ट्रेनों का स्टॉप कहां - कहां होगा यह तय करना विशुद्ध रूप से रेलवे के विवेकाधिकार और अधिकार क्षेत्र के भीतर का मामला है, जिसमें अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकता.